मेडिकल कॉलेज से मिला गलत इलाज हाथ काटने की आई नौबत, पीड़ित ने भेजा लीगल नोटिस तो मेडिकल कॉलेज ने बनाई जांच समिति

रायगढ़ : जिले का सफेद हाथी मेडिकल कॉलेज जो लोगों के साथ गलत इलाज करने के लिए भी काफी चर्चा में रहता है। इसके बावजूद यहां का प्रबंधन, यहां के डॉक्टर लंबे समय से डटे हुए हैं इनकी शिकायत होने के बावजूद भी यह आपस में ही सेटिंग कर एक दूसरे को सेफ कर देते हैं। ताजा मामला साईं विहार के रहने वाले अजय शर्मा के साथ जीवन परिवर्तनीय घटना का है। मेडिकल कॉलेज से गलत इलाज के कारण हाथ काटने की नौबत आ गई थी। अभी भी उनका हाथ सही नही है। अजय 3 महीने से अपने घर पर बैठे हुए हैं और हाथ पर पट्टी लगे खुद ही अस्पताल जाते हैं और अपना छोटा मोटा कार्य करते हैं। अस्पताल की गलती की वजह से आज अजय का परिवार भीषण आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।

जय अपनी इस हालात का जिम्मेदार मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग विभाग के डॉक्टर अजय पटेल को ठहराते हैं। डॉक्टर पर विधि सम्मत कार्रवाई करने के मूड में आ चुके हैं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी वकील के माध्यम से मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अजय पटेल पर विभागीय जांच और कार्रवाई करने के लिए एक लीगल नोटिस भेजा है जिसके जवाब में मेडिकल कॉलेज ने तीन सदस्यीय जांच दल गठित की है। हालांकि इस जांच दल पर पीड़ित को संदेह है। क्योंकि मेडिकल कॉलेज में जो भी शिकायत होती है उसमें पीड़ित को नहीं बुलाए जाने का रिवाज है और मेडिकल कॉलेज अपने स्तर पर ही शिकायत को सुन लेता है।

लक्ष्मीकांत दुबे जिन्होंने सीएम जनदर्शन में यहां के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गौरव क्लाउडियस द्वारा इलाज नहीं करने की शिकायत की थी। उन तक शिकायत की कॉपी भी आई पर मेडिकल कॉलेज द्वारा उन्हें सिर्फ चिट्ठी भेज कर यह बताया गया कि उनके आरोपों को लेकर के मेडिकल कॉलेज की टीम ने जांच किया और उनके ऊपर लगाए आरोप को खारिज कर दिया। पीड़ित अजय बताते हैं कि जांच टीम पर भरोसा नहीं है यदि मेडिकल कॉलेज द्वारा उन्हें न्याय नहीं मिला तो उनके पास कोर्ट के दरवाजे खुले हैं और वह अपने न्याय की लड़ाई हर स्तर पर लड़ेंगे क्योंकि उन्हें लगभग विकलांग बनाने का कार्य मेडिकल कॉलेज के डाक्टर ने किया है।

क्या हुआ था अजय शर्मा के साथ

चोटी-मोटे कार्य करकर के अपना जीवन यापन करने वाले 48 वर्ष वर्षीय अजय शर्मा को 29 जून से हाथ में दर्द हो रहा था तो फिर वह 1 जुलाई को मेडिकल कॉलेज गए जहां उन्हें डॉक्टर अजय पटेल ने उनके हाथ का मुआयना कर प्लास्टर बांधा और 14 दिन तक लगाए रखने की सलाह दी। तीन दिन बाद ही प्लास्टर के अंदर से खुजली होने लग गई। फिर बदबू आने लगी इसी के साथ उनके हाथ ने कार्य करना बंद कर दिया। तब उन्होंने खुद से प्लास्टर को काटा और देखा कि उनका हाथ सड़ चुका है बजबजा रहा था। अपने हाथ को देखकर बेहोश हो गए फिर दूसरे डॉक्टर से जब सलाह लिया तो पता चला कि उनके हाथ में ट्रॉमा यानी की हल्की सी चोट थी जिस पर प्लास्टर लगाने घर वह वहीं पर ही इंफेक्शन हो गया और मवाद भर गया अगर वह 14 दिन तक रुक जाते तो निश्चित तौर पर ही उनका हाथ काटना पड़ता। फिलहाल अजय शर्मा का जिला चिकित्सालय में इलाज जारी है। उंगलियां अभी भी सुन्न हैं। हर रोज ड्रेसिंग कराने जाते हैं। और इसके पीछे उनका ₹100 रोज खर्च हो रहे हैं। पिछले ढाई महीने से हर रोज अपनी स्कूटी को एक हाथ से चलाते हुए अजय शर्मा ड्रेसिंग करा रहे हैं दुर्घटना का डर तो है पर विवश हैं। इसके लिए वह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अजय पटेल को दोषी मानते हैं और उन पर कार्रवाई के लिए कोर्ट जाने के लिए भी तैयार हैं।

विकलांग बनाता हड्डी रोग विभाग

मेडिकल कॉलेज का हड्डी रोग विभाग और उसके मुखिया लगातार विवादों में रहे हैं। सिर्फ इसी विभाग पर कई लोगों ने खुद को विकलांग करने या फिर गलत इलाज का आरोप लगाया है।बोरदादार के रहने वाले राहुल वैष्णव का आरोप है कि छोटे से एक्सीडेंट के इलाज के लिए वह मेडिकल कॉलेज गया। उसके पैर में स्क्रू और प्लेट ऐसे ठोका गया जैसे दीवाल में ठोका जाता है। नतीजतन आज भरी जवानी में राहुल दिव्यंगता का जीवन जी रहा। वह हर दिन यहां के डॉक्टर प्रवीण जांगड़े को कोस रहा है। मेडिकल कॉलेज के सूत्र बताते हैं कि डॉक्टर प्रवीण जांगड़े मेडिकल कॉलेज के अलावा मिशन अस्पताल में अपनी सेवाएं देते हैं। आरोप है कि मेडिकल कॉलेज के कई केसेस को वो मिशन अस्पताल में ले जाते हैं और जिन केस में उनसे गलती हो जाती है उन्हें वह फॉलोअप के लिए वे जिला अस्पताल भेज देते हैं क्योंकि मेडिकल कॉलेज में वापस आने पर मरीज उनकी पोल पट्टी खोल सकता है।

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