शुभ योग में मनाई जाएगी आंवला नवमी, नोट करें तिथि, महत्व व पूजा विधि

आंवला नवमी हर वर्ष कार्तिक नवमी को मनाई जाती है। मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी से पूर्णिमा तक त्रिदेव आंवले के वृक्ष पर निवास करते हैं। इस लिए आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आंवला नवमी की पूजा से स्वास्थ्य, सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

आंवला नवमी का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आंवला नवमी के दिन किया गया पु्ण्य खत्म नहीं होगा। इस दिन दान, पूजा और सेवा करने से इसका लाभ कई जन्मों तक मिलता है। इस दिन किए गए शुभ कामों का फल अक्षय होता है। आंवला भगवान विष्णु का पसंदीदा फल है। आंवले के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है।

कब है आंवला नवमी?

इस साल आंवला नवमी 21 नवंबर को है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। आंवला नवमी के दिन रवि योग और हर्षण योग है। साथ ही पंचक है।

आंवला नवमी पर पूजा विधि

आंवला नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। फिर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। फिर ओम धात्र्ये नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। आंवले के पेड़ की जड़ में दूध, जल, पुष्प और चावल चढ़ाएं। घी का दीपक जलाएं। पीला धागा बांधकर 7 बार परिक्रमा करें। फिर किसी मिठाई का भोग लगाएं।

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