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अतीक किलर ‘जिगाना’ का तुर्की- पाकिस्ता न कनेक्श न, एक बार में बरसाती है 15 से 17 राउंड गोलियां

अंकारा: गैंगस्‍टर से नेता बने अतीक अहमद की उत्‍तर प्रदेश के प्रयागराज में हुई हत्‍या ने हर किसी को चौंका दिया है। अतीक की हत्‍या में जिस जिगाना पिस्‍तौल का प्रयोग हुआ है, वह तुर्की में बनती है। यह पिस्‍तौल भारत में प्रतिबंधित है और इसे काफी सफिस्टकैटिड हथियार माना जाता है।

जिगाना जो एक सेमी-ऑटोमैटिक पिस्‍तौल है, उसे तुर्की की हथियार बनाने वाली कंपनी तिसास की तरफ से बनाया जाता है। बताया जाता है कि साल 2001 में पहली बार इस पिस्‍तौल का उत्‍पादन हुआ था। यह तुर्की में बनी पहली ऐसी पिस्‍तौल है जिसका डिजाइन पूरी तरह से इसी देश में बनाया गया है। अतीक की हत्‍या में प्रयोग हुए इस हथियार का पाकिस्‍तान से भी खासा कनेक्‍शन है।

साल 2001 से प्रोडक्‍शन

यह पिस्‍तौल गैरकानूनी है और भारत में इस पर बैन है। एक पिस्‍तौल की कीमत छह से सात लाख के बीच बताई जाती है। मॉर्डन फायरआर्म्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक तिसासा ट्रैबजॉन आर्म्‍स इंडस्‍ट्री कॉर्प की तरफ से साल 2001 से ही इस पिस्‍तौल का उत्‍पादन किया जा रहा है। इन हैंडगन्‍स का उत्‍पादन बहुत कम संख्‍श में होता है। तुर्की की कई सुरक्षा कंपनियां और साथ ही साथ यहां की सेना में भी इसका प्रयेाग होता है। इनकी डिजाइन तुर्की की बाकी हैंडगन्‍स से काफी अलग है। इन पिस्‍तौल का डिजाइन कोई खास नहीं है और इन्‍हें ध्‍यान से देखने पर पता लगता है कि यूरोपियन पिस्‍तौल की तरह ही नजर आती हैं।

जिगाना की एक पूरी सीरीज है। इसका वजन करीब 900 ग्राम है और इसकी रेंज 350 मीटर तक है। इस पिस्‍तौल का प्रयोग मलेशियन आर्मी, अजजबैजान की मिलिट्री के अलावा फिलीपींस की पुलिस के साथ ही अमेरिका में कोस्‍ट गार्ड करता है।

मॉर्डन फायरआर्म्‍स के मुताबिक जिगाना पिस्‍तौल में कुछ मोडिफिकेशन किए गए हैं। यह पिस्‍तौल अब एक ब्राउनिंग-टाइप लॉकिंग सिस्टम के साथ लॉक्‍ड ब्रीच, शॉर्ट रिकॉइल-ऑपरेटेड हथियार हैं। इसमें बैरल को एक बड़े लग के जरिए स्लाइड से जोड़ा जाता है जो इजेक्शन पोर्ट का प्रयोग करता है। ट्रिगर एक डबल-एक्शन मैकेनिज्म है। इस पिस्‍तौल में ऑटोमैटिक फायरिंग पिन ब्लॉक भी होता है

कई देशों की सेनाओं की फेवरिट

ओरिजिनल जिगाना एमआई6 पिस्‍तौल में एक अंडरबैरल डस्‍टकवर है और यह फ्रेम पर होता है। पिस्‍तौल का बैरल 126 एमएम का है।जि गाना टी पिस्‍तौल इससे अलग होती है। इस पिस्‍तौल में एक भारी और थोड़ा लंबा स्‍लाइड होता है।साथ ही इसका फ्रेम एक बेहतर और लंबे डस्‍टकवर के साथ है। इसके अलावा बैरल भी 130 एमएम तक बढ़ाया गया है। इसके बाद ए‍क जिगाना के पिस्‍तौल भी है जो जिगाना टी से छोटी है और इसका बैरल सिर्फ 103 एमएम का है। तीनों ही तरह की जिगाना पिस्‍तौल डबल स्‍टैक मैगजीन का प्रयोग करती हैं। इन पिस्‍तौल से एक बार में 15 से 17 राउंड फायरिंग की जा सकती है।

पाकिस्‍तान की गन मार्केट में जिगाना

भारत में पिस्‍तौल बैन है लेकिन रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि इसे पाकिस्‍तान के रास्‍ते लाया जाता है। टर्किश डिफेंस डेली के मुताबिक पिस्‍तौल को पाकिस्‍तान में लोकल वर्कशॉप पर बनाया जाता है और जिगाना के मॉडल्‍स को गैरकानूनी तरीके से बेचा जा रहा है। इन्‍हें बिल्‍कुल ऐसे तैयार किया जा रहा है कि ये ओरिजिनल लगे और फिर कम दामों में इसे बेचा जा रहा है।

 

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