ऋषि पंचमी व्रत आज, जानें पूजा विधि, महत्व और कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। इसे ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के ठीक अगले दिन मनाया जाता है। इस बार ऋषि पंचमी का पर्व 20 सितंबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं ऋषि सप्तमी व्रत की पूजा विधि और कथा।

ऋषि पंचमी व्रत का महत्व

ऋषि पंचमी सप्त ऋषियों को समर्पित हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार, ये सात ऋषि हैं। वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज। साथ ही मान्यता है कि इस गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।

ऋषि पंचमी का व्रत विधि

ऋषि पंचमी वाले दिन जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए।

इसके बाद घर और मंदिर की अच्छे से सफाई करें। फिर पूजन सामग्री जैसे धूप, दीप, फूल, फल, पंचामृत, घी रखें।

लकड़ी की चौकी पर एक लाल कपड़ा बिछाएं। चौकी सप्तऋषि की तस्वीर स्थापित करें और उनकी पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करें। अंत में आरती जरुर उतारें।

अंत में उन्हें पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा याचना मांग लें।

ऋषि पंचमी कथा

एक समय विदर्भ देश में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पतिव्रता पत्नी के साथ निवास करता था। उसके परिवार में एक पुत्र व एक पुत्री थी। ब्राह्मण ने अपनी पुत्री का विवाह अच्छे ब्राह्मण कुल में कर देता है लेकिन काल के प्रभाव स्वरूप कन्या का पति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है, और वह विधवा हो जाती है तथा अपने पिता के घर लौट आती है। एक दिन आधी रात में लड़की के शरीर में कीड़े उत्पन्न होने लगते है़।

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