क्या आप भी करते हैं जरूरत से ज्यादा वर्कआउट? तो हो सकते हैं इस गंभीर बीमारी के शिकार

वर्कआउट सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन अगर आप हद से ज्यादा एक्सरसाइज कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। अत्यधिक व्यायाम से एक गंभीर स्थिति, जिसे रैबडोमायोलिसिस (रैब्डो) कहते हैं, का शिकार हो सकते हैं। यह बीमारी तब होती है जब शरीर की मांसपेशियां टूटने लगती हैं और मांसपेशियों के अंदर की सामग्री रक्तप्रवाह में लीक हो जाती है। आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानें और समझें इसके लक्षण और बचाव के उपाय।

 

वर्कआउट सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन अगर आप हद से ज्यादा एक्सरसाइज कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। अत्यधिक व्यायाम से एक गंभीर स्थिति, जिसे रैबडोमायोलिसिस (रैब्डो) कहते हैं, का शिकार हो सकते हैं। यह बीमारी तब होती है जब शरीर की मांसपेशियां टूटने लगती हैं और मांसपेशियों के अंदर की सामग्री रक्तप्रवाह में लीक हो जाती है। आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानें और समझें इसके लक्षण और बचाव के उपाय।

रैबडोमायोलिसिस क्या है?
रैबडोमायोलिसिस, जिसे संक्षेप में रैब्डो भी कहते हैं, एक ऐसी गंभीर मांसपेशी चोट है, जो आमतौर पर अत्यधिक शारीरिक गतिविधियों या जरूरत से ज्यादा वर्कआउट करने से होती है। क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मांसपेशियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, तो उनकी कोशिकाएं टूटने लगती हैं और मांसपेशियों के अंदर का प्रोटीन और अन्य तत्व रक्तप्रवाह में आ जाते हैं। इसका परिणाम यह हो सकता है कि ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ जाता है और अंगों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। अगर समय रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि मरीज की मौत भी हो सकती है।

कैसे होता है रैब्डो?
यह बीमारी तब होती है जब मांसपेशियों पर अत्यधिक तनाव डालने वाली गतिविधियां, जैसे क्रॉसफ़िट, HIIT प्रोग्राम या कोई अन्य गहन कसरत कार्यक्रम, बिना उचित आराम के किए जाते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, जब मांसपेशियों में ज्यादा चोट लग जाती है और उनकी कोशिकाएं टूटने लगती हैं, तो यह स्थिति पैदा होती है। इसके कारण रक्त में मायोग्लोबिन नामक प्रोटीन बढ़ जाता है, जिससे गुर्दों को नुकसान हो सकता है। डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी इस स्थिति को और गंभीर बना सकती है।

रैब्डो के लक्षण
रैब्डोमायोलिसिस के लक्षण अक्सर हल्के शुरू होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती है, ये लक्षण गंभीर हो सकते हैं। CDC के अनुसार, रैब्डो के कुछ मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:

मांसपेशियों में सूजन और ऐंठन: मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी होती है, जिससे चलने-फिरने में भी परेशानी होती है।
पीड़ा और मांसपेशियों की कोमलता: मांसपेशियों को छूने पर दर्द महसूस होता है।
मूत्र का रंग बदलना: पेशाब का रंग गहरे भूरे या चाय के रंग जैसा हो जाता है। यह इस बीमारी का एक प्रमुख संकेत है।
कमज़ोरी: मांसपेशियों में कमजोरी के कारण शरीर में एनर्जी की कमी महसूस होती है।
बीमारी कितनी आम है?
हालांकि यह स्थिति आम नहीं है, लेकिन यह बेहद गंभीर हो सकती है। क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, हर साल करीब 26,000 लोग इस स्थिति का सामना करते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, 2000 से 2019 के बीच अस्पताल में भर्ती होने वाले रैब्डो के मामलों की संख्या में 10 गुना वृद्धि हुई है, और युवा पुरुष सबसे ज्यादा जोखिम में हैं।

इसके परिणाम
रैब्डो के परिणाम घातक हो सकते हैं। यदि समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह किडनी फेलियर, मांसपेशियों की स्थायी कमजोरी, और कई अंगों के फेल होने का कारण बन सकता है। चरम मामलों में, यह मृत्यु का भी कारण बन सकता है। इसलिए, इस स्थिति के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए।

बचाव के उपाय
अत्यधिक वर्कआउट से बचें और शरीर को पर्याप्त आराम दें।
शरीर को हाइड्रेट रखें, ताकि मांसपेशियों को पर्याप्त पानी मिल सके।
किसी भी गहन शारीरिक गतिविधि से पहले अपने शरीर की सीमा जानें और धीरे-धीरे अपनी क्षमता बढ़ाएं।
वर्कआउट करना सेहत के लिए जरूरी है, लेकिन सही तरीके और उचित आराम के साथ।

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