प्रदेशभर के गुंडे-बदमाशो का आधार कार्ड के साथ बन रहा डिजिटल रिकॉर्ड, एक क्लिक में मिलेगी पूरी जानकारी

रायपुर : किसी समय में गुंडे-बदमाशों की कुंडली थानों तक सिमटकर रह जाती थी, लेकिन अब इनका पूरा ब्योरा दिल्ली गृह मंत्रालय  तक पहुंचने लगा है। एनसीआरबी- नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के पोर्टल में जिलों से गुंडे- बदमाशों के साथ अपराधों के बारे में भी जानकारी पहुंच रही है। खास ये है कि गुंडे-बदमाशों से आधारकार्ड का ब्योरा लेकर पुलिस बकायदा आधार नंबर भी जारी कर रही है, जिसके बाद देशभर से अपराधियों की पहचान सिस्टम के जरिए और आसान बनाने कवायद तेज है।

जानकारी के मुताबिक ‘पीएचक्यू के आदेश के बाद अब रायपुर समेत प्रदेश के तमाम जिलों से अपराधियों का डिजिटल डाटा तैयार कर उसे इंटरस्टेट इंटीग्रेटड सिस्टम से कनेक्ट कर दिया गया है। लिंक जुड़ने के बाद अब देश के सभी राज्यों के अपराधों का ब्योरा एनसीआरबी के पोर्टल में अपलोड कर दिया गया है। इसके जरिए किसी भी राज्य की पुलिस वांछितों का आसानी से पता लगा सकती है। एनसीआरबी के साथ सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट को जोड़ दिया गया है। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्किंग सिस्टम को साथ लेकर अपराधों का डिजिटल डाटा सिस्टम बनाया गया है। अब इसमें नई पहल के साथ आधार नंबर व फोटो को भी अपलोड किया जा रहा है।

लिंक जुड़ने के बाद अब देश के सभी राज्यों के अपराधों का ब्योरा एनसीआरबी के पोर्टल में अपलोड कर दिया गया है। इसके जरिए किसी भी राज्य की पुलिस वांछितों का आसानी से पता लगा सकती है। एनसीआरबी के साथ सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट को जोड़ दिया गया है। क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्किंग सिस्टम को साथ लेकर अपराधों का डिजिटल डाटा सिस्टम बनाया गया है। अब इसमें नई पहल के साथ आधार नंबर व फोटो को भी अपलोड किया जा रहा है।

डिजिटल डाटा तैयार होने के फायदे

दूसरे राज्यों के वांछितों की जानकारी चंद सेकंड में हासिल।

आधार नंबर के जरिए पुराने क्राइम रिकार्ड का पूरा डाटा मिनटों में ।

आरोपियों के फोटो अपलोड होने से उनकी पहचान में मिलेगी मदद।

पत्र व्यवहार के बजाय डिजिटल माध्यम, पुलिस के लिए समय की बचत ।

निगरानीशुदा बदमाशों की संबंधित शहर के अलावा दूसरे शहरों में पड़ताल आसान।

डिजिटल डाटा सिस्टम कर रहे तैयार

सिटी एएसपी लखन पटले ने बताया कि, रायपुर जिले के जितने भी अपराध हुए हैं और अपराधी हैं, उनके बारे में डिजिटल डाटा का सिस्टम ‘एनसीआरबी के माध्यम से तैयार किया जा रहा है। पुराने हिस्ट्रीशीटरों व आपराधिक केस में पकड़े गए आरोपियों का आधार नंबर के बेस पर डाटा अपलोड कर रहे हैं।

अपराध क्रमांक नहीं आधार से शिनाख्त

नए सिस्टम के बन जाने के बाद अपराध क्रमांक नहीं, बल्कि पुलिस आधार नंबर के जरिए ही अपराधी के बारे में चंद सेकंड के भीतर पता लगा सकती है। पुलिस अफसरों का कहना है, आधार नंबर एक है, ऐसे में अपराधियों की पहचान की प्रक्रिया में विलंब नहीं होगा। इसके साथ ही सटीक जानकारी मिलने पर वांछितों के बारे में कम से कम समय में पता लगाया जा सकेगा।

डिजिटल सिस्टम में 20 लाख से ज्यादा केस

‘एनसीआरबी व सीसीटीएनएस सिस्टम के साथ जितने प्रकरणों का डाटा तैयार किया जा रहा है, उस हिसाब से पुलिस ने लगभग 20 लाख प्रकरणों की जानकारी अपलोड करने का दावा किया है। ये आंकड़े सिर्फ रायपुर जिले के हैं। पुलिस अफसरों की मानें तो हर साल औसतन 0 हजार अपराध दर्ज किए जाते हैं। 2000 से लेकर 2023 तक की स्थिति 20 लाख से ज्यादा केस अपलोड करने का लक्ष्य तय कर प्रक्रिया तेज की गई है।

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