अगले माह से गूंजेंगी शहनाइयां, नवंबर व दिसंबर में भी अधिक विवाह मुहूर्त

एक महीने से चल रहा खरमास 14 अप्रैल को समाप्त हो चुका है। उसके समाप्त होने के बाद गुरु के अस्त होने के बाद विवाह मुहूर्त की शुभ तिथियां नहीं रहेंगी।अब गुरु का उदय 29 अप्रेल को होगा। इसके बाद विवाह मुहूर्तों की शुरुआत दो मई से ही हो पाएगी।

पंडित शर्मा ने बताया कि विवाह कार्य के लिए गुरु और शुक्र दोनों का उदित होना जरूरी है। दोनों में से अगर कोई एक भी ग्रह अस्त होता है तो विवाह कार्य नहीं होते हैं। दो मई से विवाह मुहूर्त हैं, जो जून तक चलेंगे।

इस वर्ष नवंबर व दिसंबर में भी अधिक विवाह मुहूर्त हैं। इससे शहर के बाजारों में ग्राहकों से चहल-पहल रहेगी। आटोमोबाइल, बर्तन, कपड़ा, सराफा कारोबार में 25 से 30 प्रतिशत का उछाल देखने को मिलेगा। भोपाल आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष पांडे, भोपाल सराफा एसोसिएशन के संगठन महामंत्री नवीनत अग्रवाल ने बताया कि विवाह मुहूर्त होने से कारोबार अच्छा होगा। अभी से बाजारों में ग्राहकों की भीड़ दिखने लगी है। चौक, न्यू मार्केट सहित शहर के सभी छोटे-बड़े बाजारों में खरीदारी हो रही है।

अभी इसलिए मांगलिक कार्य नहीं हो रहे

पंडित शर्मा ने बताया कि विवाह जैसे मांगलिक काम के लिए खरमास न होने के साथ-साथ गुरु ग्रह का उदय होना बेहद जरूरी है। 28 मार्च को गुरु अस्त हो गए थे। फिर 27 अप्रैल को सुबह 2:7 पर मेष राशि में ही उदय हो जाएंगे। इसके बाद से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। शास्त्रों के अनुसार खरमास समाप्त होते ही मांगलिक और शुभ कार्य होना शुरू हो जाता है लेकिन इस साल 14 अप्रैल को खरमास समाप्त होने के बाद भी इस माह शादी-विवाह, मुंडन, छेदन जैसे मांगलिक काम नहीं होंगे।

अबूझ मुहूर्त में कम विवाह हु

पंडित जी ने बताया कि सनातन धर्म में साढ़े तीन मुहूर्त को अबूझ मुहूर्त की मान्यता दी गई है। जिनमें किसी भी प्रकार के अन्य मुहूर्त पर विचार किए बिना ही विवाह जैसे शुभ व मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं। शास्त्रानुसार ये तीन मुहूर्त हैं विजयादशमी, अक्षय तृतीया एवं कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का अर्द्धभाग। ये सभी तिथियां स्वयंसिद्ध मुहूर्त की श्रेणी में आती हैं। अत: इन तिथियों अन्य किसी मुहूर्त पर विचार किए बिना ही शुभ एवं मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, नामकरण, व्रत उद्यापन, गृहप्रवेश आदि संपन्न किए जा सकते हैं। लेकिन इस बार अक्षय तृतीया पर भोपाल, रायसेन, विदिशा, नर्मदापुरम, सीहोर में 500 ही विवाह हुए। हर वर्ष सिर्फ भोपाल में अक्षय तृतीया पर दो हजार तक विवाह होते थे।

विवाह मुहूर्त की तिथियां

मई : दो, छह, आठ, नौ, 10, 11, 15, 16, 20, 21, 22, 27, 29, 30

जून : एक, तीन, पांच, सात, 11, 12, 13, 16, 22, 23, 25, 26, 28

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