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ऋषि सुनक के अवैध प्रवासी बिल का शुरु हुआ विरोध, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने बताया- कानून का उल्लंघन

लन्दन : ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने हाल ही में एलान किया था कि उनकी सरकार जल्द ही अवैध प्रवासी बिल लेकर आएगी, जिससे ब्रिटेन में आने वाले अवैध प्रवासियों पर रोक लगाई जाएगी। हालांकि ब्रिटेन के इस बिल का विरोध शुरू हो गया है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने इस बिल का विरोध किया है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है।

बता दें कि इस हफ्ते में ही ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन अवैध प्रवासी बिल को लाने वाली हैं। जिसमें इंग्लिश चैनल के द्वारा ब्रिटेन में छोटी नौकाओं पर आने वाले अवैध प्रवासियों पर रोक लगाई जाएगी। इस बिल के तहत ब्रिटेन की सरकार सभी छोटी नौकाओं पर रोक लगाएगी और जो लोग इंग्लिश चैनल से अवैध तरीके से ब्रिटेन में घुस रहे हैं, उन्हें पकड़कर निर्वासित किया जाएगा और साथ ही उनके फिर कभी ब्रिटेन आने पर भी प्रतिबंध लगाए जाने की योजना है।

संयुक्त राष्ट्र ने किया विरोध

ब्रिटेन के इस प्रस्तावित बिल का संयुक्त राष्ट्र ने विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों से संबंधित एजेंसी यूएनएचसीआर ने कहा है कि ‘यह बिल 1951 के शरणार्थी सम्मेलन का साफ उल्लंघन है। जिसमें कहा गया है कि शरणार्थी वो हैं, जो प्रताड़ना से बचने के लिए शरण मांग रहे हैं और इसके तहत उन्हें बेहद कठिन हालात के अलावा किसी शर्त पर वापस नहीं भेजा जा सकता। एजेंसी ने कहा कि अधिकतर लोग युद्ध और प्रताड़ना के कारण अपना देश छोड़कर भागते हैं और उन्हें पासपोर्ट और वीजा नहीं मिल पाता। ऐसे में उनके लिए कोई कानूनी रास्ता नहीं बचता। अब इस आधार पर उन्हें भविष्य में भी शरण नहीं देना गलत है और यह शरणार्थी सम्मेलन में तय की गईं बातों का उल्लंघन है।’

प्रधानमंत्री सुनक ने कही थी ये बात

वहीं अवैध शरणार्थी बिल को लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा था कि यह उन लोगों के साथ अन्याय होगा, जो कानूनी तौर पर ब्रिटेन आते हैं और जो कानून का पालन करते हैं। नया बिल नौकाओं को रोकने के लिए लाया गया है। आंकड़ों के अनुसार, बीते साल करीब 45 हजार लोग अवैध रूप से नौकाओं के जरिए ब्रिटेन आए थे। इस साल भी अभी तक तीन हजार लोग अवैध रूप से ब्रिटेन जा चुके हैं। बीते साल ब्रिटेन की सरकार ने नई योजना का एलान किया था, जिसमें तहत ब्रिटेन में अवैध रूप से आने वाले शरणार्थियों को वीजा के लिए दावेदारी करने के लिए रवांडा भेजे जाने की योजना थी। हालांकि यूरोपीय मानवाधिकार सम्मेलन के तहत रवांडा जाने वाली पहली फ्लाइट को रोक दिया गया था।

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