तबाही से केवल 90 सेकंड दूर है दुनिया, कयामत की घड़ी में 10 सेकंड हुए कम
वॉशिंगटन| दुनिया एक बार फिर प्रलय के बेहद करीब पहुंच गई है परमाणु वैज्ञानिकों ने अपने ताजा बुलेटिन में इसको लेकर गंभीर चेतावनी दी है। विश्व में तबाही का संकेत देने वाली घड़ी ‘डूम्सडे क्लॉक’ को आधी रात 90 सेकंड पर सेट किया गया है। इस घड़ी में मध्य रात्रि के 12 बजने का मतलब है कि विश्व का अंत हो जाएगा। इस कयामत की घड़ी को बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट द्वारा निर्धारित किया जाता है। चूंकि, रूस और यूक्रेन के बीच इस वक्त युद्ध चरम पर है। इसको देखते हुए वैज्ञानिकों ने परमाणु हमले की आशंका जताई है और महाविनाश के लिए केवल 90 सेकंड का समय सेट किया है।
‘गंभीर खतरे के समय में जी रहे हैं‘
इससे पहले, कयामत की घड़ी साल 2022 से आधी रात को 100 सेकंड पर सेट की गई थी। अब इसमें 10 सेकंड कम कर दिया गया है, जो विश्व के लिए बड़े खतरे का संकेत है। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स के सीईओ राहेल ब्रोंसन ने कहा कि अभी हम गंभीर खतरे के समय में जी रहे हैं और डूम्सडे क्लॉक का समय इसी वास्तविकता को दर्शाता है। तबाही के लिए जो समय निर्धारित किया गया है, उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
‘तबाही को रोकना होगा’
राहेल ब्रोंसन ने कहा कि अमेरिकी सरकार, उसके नाटो सहयोगियों और यूक्रेन के पास बातचीत के लिए बहुत सारे चैनल हैं। नेताओं से आग्रह है कि वो इस घड़ी को पीछे करने में अपनी पूरी ताकत लगाएं। उन्होंने आगे कहा कि यूक्रेन पर रुस के परमाणु हमलों की बार-बार धमकियां विश्व को तबाही की ओर ले जाने का संकेत देती हैं। इसे किसी भी तरह रोकना होगा।
‘प्रलय की घंटी बज रही है’
द एल्डर्स की चेयरमैन और मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र में पूर्व उच्चायुक्त मैरी रॉबिन्सन ने कहा कि प्रलय की घंटी बज रही है। हम खाई के कगार पर हैं, लेकिन हमारे नेता शांतिपूर्ण और रहने योग्य ग्रह को सुरक्षित रखने के लिए सही गति से काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में इस वक्त कई बड़ी समस्याएं हैं। नेताओं को संकट से उबरने वाली मानसिकता की जरूरत है।
1947 से घड़ी दे रही है खतरों का संकेत
डूम्सडे क्लॉक एक सांकेतिक घड़ी है, जो महामारी, परमाणु और जलवायु संकट के कारण वैश्विक तबाही की संभावना को दर्शाती है। 1947 से ये घड़ी बताते आ रही है कि दुनिया प्रलय से कितना दूर है। इसने 1947 में महाविनाश के लिए सात मिनट का समय निर्धारित किया था। इसके बाद, 1991 में 17 मिनट तय किया गया था। अब 2023 में इतिहास का सबसे कम समय 90 सेकंड सेट किया गया है।