CG चुनाव: सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में मारी एंट्री, कोई बना सीएम तो किसी को मिली विधायकी

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में आज हम उन नेताओं की बात करेंगे जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़‌कर राजनीति में अपना भविष्य बनाया‌ है। चाहें छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की बात की जाए या फिर हाल ही में भाजपा छोड़ चुके दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय की। ऐसे ही कई नौकरशाह जो विधायक और सांसद भी बने। रामपुकार सिंह, मोहन मरकाम, रेणु जोगी, चंद्रदेव राय, सावित्री मंडावी, विक्रम उसेंडी जैसे तमाम दिग्गज नेता जिन्होंने राजनीति में बड़े मुकाम हासिल किए हैं। उनके बारे में जानेंगे।

जब जब छत्तीसगढ़ का जिक्र होता तो एक नाम है जो हमेशा लिया जाता है, वह है अजीत जोगी। प्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत‌ जोगी के बारे में जानते है। अजीत जोगी वह थे जिन्होंने भोपाल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद रायपुर में साल 1964-65 में इंजीनियरिंग कॉलेज में बतौर शिक्षक काम करने लगे। उसके बाद उन्होंने UPSC पास कर कलेक्टर के रूप में सेवाएं भी दी। लेकिन कहते हैं कि संयोग अगर राजनीति का हो तो वह खुद ब खुद खींच लाता है। अजीत जोगी सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में आए और सांसद बने। वक्त के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी का नाम इतिहास के पन्नों में लिखा है।‌

इसी तरह छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज आदिवासी नेता के नाम से जाने जाने वाले नेता नंदकुमार साय। साय ने साल 2023 में भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ वर्तमान में कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया है। राजनीति में आने से पहले नंदकुमार साय भी शासकीय पेशे में रह चुके हैं। हालांकि नंदकुमार साय छात्र राजनीति से ही सक्रिय रहे हैं। लेकिन साल 1973 में नायब तहसीलदार के रूप उनका चयन हुआ लेकिन वह सेवा में नहीं गए।

इसी तरह छत्तीसगढ़ के पत्थलगांव से विधायक रामपुकार सिंह भी पहले शिक्षक का पेशा संभालते थे। इसी तरह विधायक चंद्रदेव राय भी शिक्षा कर्मी रहे हैं। उन्होंने साल 2018 में कर मुक्त होकर राजनीति में कदम रखा था। इसी तरह छत्तीसगढ़ की राजनीति में वर्तमान में बड़ा चेहरा कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम जो की कोंडागांव से विधायक हैं। वह पहले शिक्षक के रूप में काम करते थे। इसके बाद वह LIC में डेवलपमेंट ऑफिसर भी रहे हैं।

अजीत जोगी के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही छत्तीसगढ़ की मरवाही विधानसभा शुरू से चर्चा में रही है। जहां एक ओर अजीत जोगी कलेक्टर रहे, तो वहीं इस सीट से वर्तमान में कांग्रेस पार्टी ने कृष्ण कुमार ध्रुव को प्रत्याशी बनाया और उपचुनाव में जीतकर वह विधायक बने। केके ध्रुव पेशे से डॉक्टर हैं। वह पहली बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू जिला कोरबा में पदस्थ हुए थे।

उसके बाद साल 1998 से फरवरी 2001 तक इन्होंने कोरबा जिले में काम किया। कोरबा में काम करने के बाद ध्रुव का ट्रांसफर मरवाही हुआ। जहां उन्होंने साल 2004 से मेडिकल ऑफिसर के पद पर लगातार काम किया। अजीत जोगी के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी ने कृष्ण कुमार ध्रुव को प्रत्याशी बनाया और वह विधायक चुनकर आए। इसी तरह छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी भी राजनीति में आने से पहले इंदौर और रायपुर में बतौर प्रोफेसर सेवाएं देती थी। बताया जाता है कि जब अजीत जोगी दुर्घटना का शिकार हुए थे, उसके बाद उनकी पत्नी ने शासकीय नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखा और पति अजीत के समर्थन में चुनाव प्रचार किया था।

उसके बाद वह कोटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहीं। वर्तमान में रेणु जोगी छत्तीसगढ़ की कोटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। वहीं अगर भानुप्रतापपुर क्षेत्र की विधायक सावित्री मांडवी की बात करें तो, 16 अक्टूबर को मनोज मंडावी के निधन के बाद उन्होंने 3 नवंबर को अपने शिक्षक के पद से इस्तीफा दे दिया था। सावित्री मांडवी राजधानी रायपुर में शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रही थी। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें भानुप्रतापपुर उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया और वह क्षेत्र विधायक चुनकर विधानसभा पहुंची।

वहीं दूसरी ओर आदिवासी क्षेत्र में पहले शासकीय नौकरी और बाद में राजनीति की तरफ जाने वाले नेताओं की बात करें तो, पूर्व विधायक देवलाल दुग्गा, सिद्धनाथ पैकरा, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, इतिराम बघेल, राजाराम तोडेम,अंतूराम कश्यप, मंतूराम पवार, अघनसिंह ठाकुर,संपत सिंह, राम लाल भारद्वाज,इंग्रिड मैक्लॉड यह सभी पेशे से शासकीय पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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