इस पर छत्तीसगढ़ शासन की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता प्रफुल भारत ने डिविज़न बेंच को अवगत कराया कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत न्यूनतम अभ्यास और नामांकन की शर्त से संबंधित मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए, जब तक सुप्रीम कोर्ट का निर्णय नहीं आ जाता, तब तक परीक्षा संचालित करना उचित नहीं होगा।
महाधिवजता द्वारा दी गई जानकारी व सुझाव के बाद हाई कोर्ट ने 18 मई 2025 को प्रस्तावित सिविल जज परीक्षा पर रोक लगाते हुए कहा कि सीजीपीएससी परीक्षा संबंधी कोई भी कार्यवाही अगले आदेश तक नहीं करेगा।
Bilaspur High Court: इससे पूर्व भी कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के तहत आयोग को निर्देश दिया था कि वह ऐसे उम्मीदवारों को आनलाइन फार्म भरने की अनुमति दे जो अधिवक्ता के रूप में नामांकित नहीं हैं। यह आदेश न केवल याचिकाकर्ता के लिए बल्कि राज्य के कई अन्य उम्मीदवारों के लिए भी राहतकारी माना जा रहा है, जो नियमों के कारण परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो सकते थे। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर टिकी हैं, जो इस प्रावधान की वैधता पर अंतिम निर्णय देगा।