नवरात्रि में कन्या पूजन का है विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त और विशेष विधि

नवरात्रि के मौके पर जितना महत्व व्रत और पूजन का होता है, उतना ही महत्व कन्या पूजन का भी होता है। आम तौर पर अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन किया जाता है, लेकिन कई भक्त सप्तमी को भी कन्या पूजन करते हैं। इस दौरान कुंवारी कन्याओं को माता का रूप मानते हुए आमंत्रित किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। कन्याओं को प्रसाद का सेवन करवाया जाता है और उन्हें उपहार भी दिए जाते हैं। मान्यता है कि कन्या पूजन से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर कृपा करती हैं। आइये जानते हैं कन्या पूजन की विशेष विधि –

कन्या पूजन: तिथि एवं मुहूर्त

इस वर्ष अष्टमी पर माँ महागौरी का कन्या पूजन 29 मार्च होगा। पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 28 मार्च को शाम 07:02 मिनट से शुरू होगी और 29 मार्च को रात्रि 09:07 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं, महानवमी 29 मार्च को रात्रि 09:07 से 30 मार्च की रात्रि 11:30 मिनट तक रहेगी। ऐसे में महाष्टमी का कन्या पूजन 29 मार्च को और महानवमी पर कन्‍या पूजन 30 मार्च को किया जाएगा।

कैसे करें कन्या पूजन?

जिस दिन भी कन्या पूजन करना हो, उस दिन नौ कन्याओं और एक लड़के को अपने घर बुलाएं।

घर में प्रवेश करने के दौरान ही सबसे पहले कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठा दें।

सभी के हाथों में मौली बांधें और माथे पर रोली से टीका लगाएं।

भगवती दुर्गा को उबले हुए चने, हलवा, पूरी, खीर, पूआ, फल आदि का भोग लगाएं।

यही प्रसाद कन्याओं को भी भोजन के लिए दें। साथ ही कुछ दक्षिणा भी जरूर दें।

भोजन के उन्हें प्रसाद के रूप में फल अथवा उनके उपयोग की वस्तुएं प्रदान करें।

कन्याओं को लाल चुन्नी और चूड़ियों का उपहार दें। इससे माता भगवती प्रसन्न होती हैं।

कन्याओं को विदा करते समय उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

कन्या पूजन का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्ठमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम है नहीं तो दो कन्याओं से भी काम चल सकता है। कन्याओं की आयु 10 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button