VIDEO : महावीर जयंती कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी- ‘चुनाव न होता, तो मैं भी कुछ और मिजाज में होता’

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को महावीर जयंती के उपलक्ष्य में भगवान महावीर के 2,550वें निर्वाण महोत्सव को संबोधित किया। दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बताया कि किस प्रकार भगवान महावीर की शिक्षा के कारण आज दुनिया में भारत का कद बढ़ा है। दूसरे देश जब एक-दूसरे खिलाफ जंग छेड़ रहे हैं, तब दुनिया भारत की तरफ एक उम्मीद की नजर से देख रही है।

चुनाव न होता तो मैं भी शायद कुछ और मिजाज में होता: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि अगर यह चुनाव का माहौल न होता तो शायद मैं भी कुछ और मिजाज में होता। मैंने पूरी कोशिश की है कि उन चीजों को बाहर ही रखकर आऊं। मैं तो नहीं लाया, लेकिन आप जरूर लेके आए हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी अपील की कि मतदान वाले दिन इस बात का इंतजार न करें कि धूप कम होगी और शाम ढलेगी, तब घर से बाहर निकलेंगे। यह काम सुबह-सुबह ही कर आना।

पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

पीएम मोदी ने कहा, अभी हमने भगवान महावीर के जीवन पर विद्यार्थी मित्रों द्वारा तैयार किए चित्रण को देखा। युवा साथियों ने ‘वर्तमान में वर्धमान’ सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी ​की। हमारे अनादि मूल्यों के प्रति, भगवान महावीर के प्रति युवा पीढ़ी का ये आकर्षण और समर्पण, ये विश्वास पैदा करता है कि देश सही दिशा में जा रहा है।

इस साल हमारे संविधान को भी 75 वर्ष होने जा रहे हैं। इसी समय देश में एक बड़ा लोकतांत्रिक उत्सव भी चल रहा है। देश का विश्वास है कि यहीं से भविष्य की नई यात्रा शुरू होगी।

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भारत न केवल विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है, बल्कि मानवता का सुरक्षित ठिकाना भी है।

ये भारत ही है, जो… स्वयं के लिए नहीं, सर्वम के लिए सोचता है। स्व की नहीं, सर्वस्व की भावना करता है। अहम नहीं, वहम की सोचता है। इति नहीं, अपरिमित में विश्वास करता है। नीति और नियति की बात करता है। पिंड में ब्रह्मांड की बात करता है। विश्व में ब्रह्म की बात करता है। जीव में शिव की बात करता है।

हम कभी दूसरे देशों को जीतने के लिए आक्रमण करने नहीं आए, हमने स्वयं में सुधार करके अपनी ​कमियों पर विजय पाई है। इसलिए मुश्किल से मुश्किल दौर आए और हर दौर में कोई न कोई ऋषि हमारे मार्गदर्शन के लिए प्रकट हुआ है। बड़ी-बड़ी सभ्याएं खत्म हो गईं, लेकिन भारत ने अपना रास्ता खोज ही लिया।

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