Khairagarh University में कुलपति नियुक्ति को लेकर हंगामा, ABVP ने छेड़ा आंदोलन

Khairagarh University, खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बन गया है। विश्वविद्यालय की नव नियुक्त कुलपति प्रो. लवली शर्मा के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने मोर्चा खोल दिया है। रविवार शाम अचानक परिषद के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया। “लवली शर्मा गो बैक” के नारों से पूरा परिसर गूंज उठा और प्रदर्शनकारी छात्रों ने रातभर धरना जारी रखने का ऐलान कर दिया।

इस विरोध के चलते परिसर में तनाव का माहौल बना हुआ है। हालात को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है, मगर छात्रों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। ABVP ने चेतावनी दी है कि यदि कुलपति की नियुक्ति रद्द नहीं की गई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया जाएगा।

जवानों ने ABVP कार्यकर्ताओं को परिसर से किया बाहर
नियुक्ति पर बढ़ा विवाद, रद्द करने की मांग तेज

उल्लेखनीय है कि 9 अप्रैल को राजभवन की ओर से जारी आदेश के तहत आगरा स्थित दयालबाग एजुकेशन इंस्टिट्यूट और ग्वालियर के मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. लवली शर्मा को खैरागढ़ विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था। लेकिन महज 48 घंटे के भीतर ही नियुक्ति का विरोध शुरू हो गया। ABVP ने राज्यपाल और कुलाधिपति को पत्र लिखकर नियुक्ति रद्द करने की मांग की है। परिषद का आरोप है कि लवली शर्मा के ग्वालियर कार्यकाल में भ्रष्टाचार, अपनों को लाभ पहुंचाने और भारत माता की तस्वीर हटवाने जैसे गंभीर विवाद रहे हैं, जिनके चलते उनका विरोध किया जा रहा है।

पहले भी विवादों में घिर चुका है विश्वविद्यालय

यह पहली बार नहीं है जब खैरागढ़ विश्वविद्यालय किसी विवाद की जद में आया हो। कांग्रेस शासन के दौरान पद्मश्री ममता चंद्राकर को कुलपति नियुक्त किया गया था, लेकिन पूरे कार्यकाल में उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। सत्ता परिवर्तन के बाद 21 जून 2024 को उन्हें हटाकर संभाग आयुक्त सत्यनारायण राठौर को प्रभारी कुलपति नियुक्त किया गया था। इसके बाद विश्वविद्यालय लंबे समय तक बिना नियमित कुलपति के संचालित होता रहा।

भाजपा-आरएसएस के रिश्तों पर भी उठे सवाल

इस घटनाक्रम ने भाजपा और उसके सहयोगी संगठन आरएसएस के बीच तालमेल पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ABVP, जो कि संघ की छात्र इकाई है, वही अब भाजपा सरकार के समर्थन से हुई कुलपति नियुक्ति का विरोध कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भाजपा संगठन और आरएसएस के बीच समन्वय की कमी को दर्शाता है।

फिलहाल, प्रो. लवली शर्मा ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया है, लेकिन विरोध की तीव्रता को देखते हुए सरकार पर दबाव बढ़ता नजर आ रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार ABVP की चेतावनी के आगे झुकेगी या अपने फैसले पर कायम रहेगी?

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