रूस से दोस्ती बढ़ा रहा यह मुस्लिम मुल्क, सऊदी के बाद अब छोड़ेगा अमेरिका का साथ? भारत का है दोस्त
दुबई: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले साल सऊदी अरब की यात्रा की जहां सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उनका स्वागत किया। इसके बाद अब सऊदी अरब ने चीन की मध्यस्थता से अमेरिका के दुश्मन ईरान के साथ रिश्ते फिर से सुधार लिए। सऊदी की इस चाल से अमेरिका भौचक्का रह गया और सीआईए के चीफ तो अचानक से रियाद पहुंचकर मोहम्मद बिन सलमान को सुना दिया। अब खाड़ी का एक और मुस्लिम मुल्क अमेरिका को झटका देने की तैयारी में है। इस देश का नाम संयुक्त अरब अमीरात है जो अमेरिका के सबसे करीबी दोस्तों में से एक माना जाता है। अभी हाल ही में यूएई के राष्ट्रपति ने सीरिया के राष्ट्रपति का स्वागत किया था जो अमेरिका का धुर विरोधी हैं।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी एशिया में अमेरिका का दोस्त यूएई अब सऊदी अरब की राह पर चलता हुआ दिखाई दे रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद को पिछले साल गर्मियों में वॉशिंगटन आने का न्योता दिया था लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है। यह दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों को दर्शाता है। अमेरिका में खाड़ी देशों के विशेषज्ञ डॉक्टर थिओडोर कारसिक का कहना है कि राजनीतिक तनाव को देखते हुए इस बात की संभावना नहीं है कि यूएई के राष्ट्रपति वॉशिंगटन की यात्रा करें।
रूस के साथ खुलकर आया यूएई, व्यापार कई गुना बढ़ा
डॉक्टर कारसिक ने कहा कि वह भी तब जब यूएई और रूस तथा चीन के बीच रिश्ते इस समय बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। यूएई ने एशियाई देशों के साथ इस समय अपने रिश्ते को मजबूत करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यूएई अभी इंतजार कर रहा है क्योंकि यूरोप और अमेरिका में राजनीति लगातार बदल रही है। लेकिन अब पश्चिमी देश यूएई के लिए आदर्श नहीं रहे। सऊदी और यूएई के इस रुख से खाड़ी देशों में अमेरिका के प्रभाव की कड़ी परीक्षा शुरू हो गई है। वह भी ऐसे समय में जब अमेरिका रूस के खिलाफ प्रभावी तरीके से आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगा सका।
इसी वजह से अब यूएई को पश्चिमी देशों के नेतृत्व से किनारा करने वाले देश के रूप में देखा जा रहा है। यूएई को साथ बनाए रखने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के कई अधिकारी अमीरात की राजधानी अबू धाबी पहुंचे हैं। वे चाहते थे कि रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को प्रभावी बनाने में यूएई बड़ी रुकावट साबित हो रहा है। आलम यह है कि यूएई से रूस को इलेक्ट्रानिक सामानों की आपूर्ति पिछले एक साल में 7 गुना बढ़ गई है। यही नहीं यूएई से रूस को होने वाले माइक्रोचिप के निर्यात में भी 15 गुना की तेजी आई है।
अमेरिकी प्रतिबंध नहीं माने, भारत की भी मदद की
यूएई ने अमेरिकी प्रतिबंधों को धता बताते हुए रूस को 158 ड्रोन विमानों की आपूर्ति की है। अमेरिका ने इन सभी सामानों के रूस को निर्यात करने पर प्रतिबंध लगा रखा है। यही नहीं भारत भी यूएई के रास्ते रूस को तेल के पैसे दे रहा है। भारत और यूएई के बीच बहुत करीबी संबंध है और यहां पर भारतीय बैंकों की शाखाएं हैं। अब दोस्त रूस से व्यापार के लिए यूएई और भारत के अच्छे रिश्ते काफी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।