छत्तीसगढ़ में पहला एथेनॉल प्लांट अप्रैल से:रोजाना 80 किलोलीटर होगा तैयार, पीपीपी मॉडल से बनने वाला देश का पहला संयंत्र

छत्तीसगढ़ का पहला एथेनॉल प्लांट इस साल अप्रैल से कवर्धा में भोरमदेव शक्कर कारखाने के पास शुरू हो जाएगा और गन्ने से शुरू में रोजाना 80 किलोलीटर एथेनॉल बनने लगेगा। यह पीपीपी मॉडल से बनने वाला देश का पहला एथेनॉल प्लांट होगा। इसके लिए ग्लोबल टेंडर के बाद भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने तथा एनकेजे बॉयोफ्यूल के बीच एग्रीमेंट हुआ है। सीजन में गन्ने के रस से तथा ऑफ सीजन में मोलासिस से एथेनॉल बनेगा।

एथेनॉल इसलिए महत्वपूर्ण
एथेनॉल को पेट्रोल और डीजल में मिलाने के लिए केंद्र सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक यहीं एथेनॉल के उत्पादन से राज्य में पेट्रोल-डीजल के रेट में कमी आ सकती है। हालांकि एथेनॉल के इस्तेमाल से गाड़ियों के इंजन की उम्र भी बढ़ती है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ के किसानों से ज्यादा से ज्यादा गन्ना खरीदना होगा। यानी उन्हें फसल की ज्यादा और पूरी कीमत मिल पाएगी।

रोज 500 ट्रैक्टर गन्ना
कवर्धा जिले के भोरमदेव कारखाने के सामने तस्वीर में दो सौ से ज्यादा गन्ने से भरे ट्रैक्टर दिख रहे हैं, हालांकि रोज ट्रैक्टरों की करीब पांच सौ पर्चियां कट रही हैं। इसी का रस शक्कर कारखाने से वहीं लगे 35 एकड़ में बन रहे एथेनॉल प्लांट में जाएगा। यह 80 फीसदी बन चुका है। कवर्धा जिले में 30 हजार हेक्टेयर में गन्ना लगाया जाता है। यहां 450 छोटी गुड़ फैक्ट्रियां हैं, जिनमें 250 चालू हैं।

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