मास्को : रूस ने साफ कर दिया है कि जी 7 देशों ने उस पर संपूर्ण निर्यात प्रतिबंध लगाया तो वह संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले खाद्यान्न निर्यात समझौते से हट जाएगा। इससे विश्व एक बार फिर से खाद्यान्न संकट से घिर सकता है। उल्लेखनीय है कि रूस और यूक्रेन विश्व का 35 प्रतिशत से ज्यादा खाद्यान्न और अन्य खाद्य पदार्थ निर्यात करते हैं।
पश्चिमी देशों ने रूस पर बेहद कड़े प्रतिबंध लगाए हैं
संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले समझौते के चलते ही रूस ने काला सागर से यूक्रेनी निर्यात को अनुमति दी है। रूस के पूर्व राष्ट्रपति और शक्तिशाली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने कहा, जी 7 की यह सोच मूर्खतापूर्ण है कि वे सभी वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर रूस को परेशान कर सकते हैं। अगर उन्होंने ऐसा किया तो वे खाद्यान्न और कई अन्य जरूरी वस्तुओं से हाथ धो बैठेंगे।
गेहूं और उर्वरक जैसी कई आवश्यक वस्तुओं का रूस विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है। उल्लेखनीय है कि जी 7 देशों (अमेरिका, जर्मनी, जापान, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस और इटली) ने संकेत दिया है कि वे रूस पर सभी वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से जी 7 सहित ज्यादातर पश्चिमी देशों ने रूस पर बेहद कड़े प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन इन देशों का कुछ वस्तुओं का व्यापार रूस के साथ अभी जारी है।
यूक्रेन जवाबी हमले के लिए तैयार
शीतकाल में लगातार रूसी हमले झेलने के बाद यूक्रेन अब कभी भी बड़ा जवाबी हमला कर सकता है। इसके लिए उसने अपने कब्जे वाले इलाकों में जरूरी मोर्चेबंदी कर ली है। यह जानकारी अमेरिका के इंस्टीट्यूट फार द स्टडी आफ वार ने दी है।
अमेरिका और अन्य सहयोगी देशों से मिल रही सैन्य मदद ने यूक्रेनी सेना को जवाबी हमले की ताकत और हौसला दिया है। मोर्चों पर टैंक और तोप तैनात कर यूक्रेनी सेना चालू होने वाले हफ्ते में बड़े हमले कर सकती है। यूक्रेन अपनी जमीन को रूसी सेना से मुक्त कराने तक लड़ने की बात कह चुका है।