नियमितीकरण में खेला! : हजारों लोगों ने नहीं पटाया संपत्तिकर, अब लग रहा हर महीने एक प्रतिशत सरचार्ज

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कई महत्वपूर्ण व्यवसायिक परिसर और उनमें संचालित विभिन्न संसथान नगर निगम की आँखों में धूल झोक कर धड्ड्ले से मलाई खा रहे हैं। निगम के ज़ोन दफ्तरों में ऐसे कर चोरों की तूती बोलती हैं। इसके खिलाफ सर्वे या कर वसूली की कार्यवाही करने की हिम्मत ज़ोन कमिश्नर तो क्या निगम आयुक्त तक नहीं दिखा पाते। वैसे तो इस वित्तीय वर्ष में निगम अपने लक्ष्य से अधिक राजस्व वसूली कर चुका है। लेकिन अभी भी निगम के खाते में मौजूद हज़ारों संपत्तिधारकों ने टैक्स नहीं पटाया है। अब ये कर दाता सरचार्ज देकर टैक्स का भुगतान करेंगे। हालांकि निगम को इस बार लक्ष्य से ज्यादा करों का भुगतान हुआ है। जिसकी वजह नियमितीकरण को भी माना जा रहा है। निगम ने नियमितिकरण के तहत 1,700 अवैध मकानों, दुकानों और कांप्लेक्स को वैध किया है, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। सूत्रों के मुताबिक़ नियमितिकरण की आड़ में कई अवैध निर्माण चुपके से नियम विरुद्ध वैध कर लिए गए हैं। जोन 10 में इसी तरह के कुछ विवादित मामले होने की पुख्ता जानकारी सूत्र दे रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, बिना निगम से अनुमति लिए करवाए गए निर्माण को अवैध की श्रेणी में रखा जाता है। जिसमें सीढ़ी बनाने से लेकर अगले तल में भवन का विस्तार करना इत्यादि अवैध की श्रेणी में आता है। इन सभी का नियमितीकरण करवाना अनिवार्य है।
अधिकारियों के मुताबिक इन संपत्तिधारकों से रायपुर नगर निगम का राजस्व विभाग सालभर टैक्स की वसूली करेगा। अगर लोग खुद से तत्परता दिखाते हुए टैक्स का भुगतान कर दिए होते तो निगम इस वित्तीय वर्ष 370 करोड़ से अधिक के राजस्व का आकंड़ा पार कर देता। वर्तमान में 70 हजार से अधिक की राजस्व वसूली निगम को अब अगले वित्तीय वर्ष तक करनी है। बड़ी बात तो यह है कि अब जनता को सरचार्ज के साथ टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।
संपत्तिधारक खुद से जिम्मेदारी दिखाते हुए अगर टैक्स का भुगतान कर देते हैं, तो उन्हें काम सरचार्ज देकर संपत्तिकरण का भुगतान करना होगा। अगर जुलाई के बाद संपत्तिधारकों द्वारा टैक्स का भुगतान किया जाएगा तो हर महीने एक प्रतिशत सरचार्ज बढ़ेगा। दिसंबर तक यह सरचार्ज 12 प्रतिशत तक बढ़ेगा। वहीं, दिसंबर के बाद संपत्तिधारकों को 17 प्रतिशत सरचार्ज के साथ टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। एक वर्ष बीत जाने के बाद चक्रवृद्धि ब्याज के साथ संपत्तिधारकों को टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।
निगम क्षेत्र में 61 हजार संपत्तियां हैं, जिनसे निगम को टैक्स नहीं मिलता है। इसमें सरकारी, स्लम बस्ती सहित धार्मिक संपत्तियां मौजूद हैं। मिली जानकारी के अनुसार लगभग 3 लाख 21 हजार संपत्तियाें का खाका निगम के पास मौजूद है। निगम इनमें 2 लाख 60 हजार संपत्तियों से टैक्स की वसूली करता है। लेकिन अभी भी हज़ारों बचे हुए संपत्तिधारकों द्वारा संपत्तिकर का भुगतान नहीं किया गया है। इनसे अब सरचार्ज के साथ वसूली की जाएगी।
नगर निगम नागरिकों को घर बैठे टैक्स पटाने की सुविधा उपलब्ध करा रहा है। नागरिक आनलाइन और आफलाइन दोनो माध्यमों से टैक्स पटा सकते हैं। लेकिन इसके बाद भी समय से नागरिकों ने टैक्स का भुगतान नहीं किया और समय बीत जाने के बाद भी लगभग 30 प्रतिशत से अधिक लोगों का टैक्स बकाया रह गया है। हालांकि निगम को इस बार लक्ष्य से ज्यादा करों का भुगतान हुआ है। जिसकी वजह नियमितीकरण को भी माना जा रहा है। निगम ने नियमितिकरण के तहत 1,700 अवैध मकानों, दुकानों और कांप्लेक्स को वैध किया है, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। टैक्स अदा करने के लिए च्वाइस सेंटर का भी विकल्प है। नगर निगम का संपत्तिकरण इस वर्ष 200 करोड़ को पार गया गया। जो अब तक का सबसे ज्यादा संपत्तिकर कहा जा रहा है।
अधिकारियों के मुताबिक निगम इस वित्तीय वर्ष अन्य करों को जोड़कर 300 करोड़ से अधिक का आंकड़ा पार किया है। इसमें संपत्तिकर, जलकर, यूजर चार्ज, समेकित कर, शिक्षाउपकर शामिल हैं। इसके अलावा निगम की दुकानों से मिलने वाला किराया, विभिन्न तरह के शुल्क सहित अन्य करों से निगम को यह पैसा मिला है।