रायपुर। क्या कोविड होने के बाद आपको सोने में दिक्कत होती है? पहले की तरह नींद नहीं आती? रतजगा सा रहने लगा है? ये लॉन्ग-कोचिड का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ होना और ब्रेन फोगिंग भी लॉन्ग- कोविड के कुछ आम लक्षण है।पिछले दिनों हुई विभिन्न रिसर्च में पता चला है कि कोरोना से संक्रमित मरीजों में बीमारी खत्म होने के लंबे समय बाद तक नींद से जुड़ी परेशानियां बनी रह सकती हैं। दुनियाभर में कई रिसर्च टीमों ने कोविड मरीजों या लॉन्ग- कोविड से जूझ रहे लोगों की नींद और उनके सोने के तरीके पर शोध किया। इनसे जानकारी सामने आई किं कई प्रभावित लोग “स्लीप डिस्टर्बेस” की समस्या का सामना कर रहे हैं।
इस टर्म का आशय ऐसी दिक्कतों से जुड़ा है, जिनमें लोगों को नींद आने या रातभर सोए रहने में दिक्कत आती है। इनमें इनसोम्निया प्रमुख है। इससे पीड़ित लोगों को देर से नींद आती है। रात में कई बार उनकी नींद टूटती है या नींद पूरी हुए बिना सुबह काफी जल्दी आंख खुल जाती है ।
कोरोना संक्रमण के दौरान और इसके बाद नींद की दिक्कतें
कई शोधों से पता चला है कि कोविड होने के बाद नींद में परेशानी होना इक्का-दुक्का लोगों की समस्या नहीं है। करीब 250 रिसचों के डेटा की जांच में सामने आया कि कोविड से संक्रमित करीब 52 फीसदी लोगों को इंफेक्शन के दौरान नींद से जुड़ी दिक्कतें होती हैं। 49 देशों के करीब पांच लाख लोगों के विश्लेषण में ये डेटा मिला है। ऐसा नहीं कि संक्रमण के जोर पर होने से ही लोगों को परेशानी हुई हो।
2022 की एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी में अमेरिका के रिसर्चरों ने 710 प्रतिभागियों को स्वास्थ्य उपकरण पहनाए। इन उपकरणों ने उन प्रतिभागियों की सांस की रफ्तार, दिल की धड़कन, ऑक्सीजन स्तर जैसी चीजें मापीं इस डेटा से पता चला कि लॉन्ग कोविड के 122 मरीज, उन 588 प्रतिभागियों के मुकाबले कम सोये जिन्हें कोविड नहीं हुआ था। साथ ही, लॉन्ग- कोविड के उन मरीजों की नींद की क्वॉलिटी भी खराब थी।
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जर्नल ईक्लिनिक मेडिसिन में छपी ऐसी ही एक और रिसर्च में शोधकर्ताओं ने 56 देशों के करीब 3,762 प्रतिभागियों को ऑनलाइन फॉर्म भेजे, जिनमें कई सवाल पूछे गए थे। इन सबको लॉन्ग- कोविड हुआ था। जून से नवंबर 2020 के बीच प्रतिभागियों से जो जवाब मिले, उनसे पता चला कि उनमें से लगभग 80 फीसदी लोगों को नींद की परेशानी हो रही है। इन दिक्कतों में इनसोम्निया की तादाद सबसे ज्यादा पाई गई।