नोट बंदी के 7 साल पुरे होने पर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा “ पूंजीपति मित्रो को मिला नोटबंदी का लाभ”

नई दिल्ली :  साल 2016 में रात आठ बजे अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया और एक बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने 8 नवंबर 2016 में रातों-रात नोटबंदी का फैसला करके सभी को चौंका दिया। नोटबंदी के इस फैसले में 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद कर दिया गया था। इसको आज 7 साल पूरे हो गए हैं। इस को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इसका मकसद केवल पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना था।

राहुल गांधी बोले- परम मित्रों की झोली भरी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि नोटबंदी एक सोची समझी साजिश थी। इसके जरिए रोजगार को तबाह किया गया और असंगठित अर्थव्यवस्था को तोड़कर रख दिया गया है। उन्होंने नोटबंदी को एक हथियार बताया, जिसके जरिए परम मित्र की झोली भरकर उसे देश से दुनिया का दूसरा सबसे अमीर आदमी बनाया गया। उन्होंने कहा कि उनकी साजिश रोजगार तबाह करने की, श्रमिकों की आमदनी रोकने की, छोटे व्यापारों को खत्म करने की, किसानों को नुकसान पहुंचाने की और असंगठित अर्थव्यवस्था को तोड़ने की। 99 फीसदी आम भारतीयों पर हमला हुआ था और केवल । प्रतिशत पूंजीपति मोदी मित्रों’ को फायदा पहुंचाया गया।

मल्लिकार्जुन खरगे बोले- अरबपति अमीर हो गया

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी एक्स पर पोस्ट कर पीएम मोदी को घेरा है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद पीएम मोदी ने 50 दिन मांगे थे, आज 7 साल हो गए। वो चौराहा तो नहीं मिला, देश को दोराहे पर ज़रूर खड़ा कर दिया। एक तरफ अमीर, अरबपति अमीर हो गया है, तो दूसरी ओर, गरीब और भी गरीब होता जा रहा है। आज 50 लोगों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है जिन्होंने नोटबंदी के चक्रवात को झेला। देश की अर्थव्यवस्था और विकास दर को गहरा धक्का लगा। एक ही झटके में लाखों छोटे व्यवसाय ठप्प पड़ गए।

करोड़ों लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई। पाई-पाई जोड़कर जो हमारी गृह लक्ष्मी महिलाओं ने बचत जुटाई थी, वो खत्म हो गई। जाली नोट और बढ़ गए, 500 के जाली नोटों में पिछले साल ही 4 फीसदी बढ़ोतरी हुई और 2000 के नोटों पर भी नोटबंदी लागू करनी पड़ी। काले धन पर लगाम लगाने में विफ़ल रही मोदी सरकार कॅश इन सर्कुलेशन में 2016 से अब तक 83 फीसदी उछाल आया। पिछले 7 वर्षों में संपत्ति खरीदने वालों में से 76 फीसदी को कीमत का एक हिस्सा कैश में चुकाना पड़ा। मोदी सरकार की नोटबंदी आम नागरिकों के जीवन में एक गहरे जख़्म की तरह है, जिसकी मरहम-पट्टी वो आज तक कर रहें हैं।

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