CG के इस गांव में पिछले 70 सालों से हो रही है महात्मा गांधी की पूजा, शख्स ने घर में बनाया मंदिर

रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर चंद्रपुर से आगे गुड़ेली से लगे हुए गांव पर हर साल विशेष चहल-पहल रहती है. वैसे तो 2 अक्टूबर के दिन पूरे देश में गांधी जी का जन्म दिन मनाता है, लेकिन सारंगढ़ अंचल का लालधुर्वा छत्तीसगढ़ का इकलौता गांव है, जहां महात्मा गांधी की याद में एक देशभक्त ने अपने मिट्टी के घर में गांधी का मंदिर बनाया है और हर रोज गांधी जी की पूजा अचर्ना की जाती है. देश में जब आजादी की जंग छिड़ी हुई थी, तभी सारंगढ़ अंचल के लालाधुर्वा निवासी देशभक्त क्रांतिकारी सैनिक बोर्रा चौहान ने भी हिस्सा लिया था. बोरा चौहान देशप्रेम से इस कदर ओतप्रोत थे कि भारत को आजादी दिलाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को उन्होंने घर मे मन्दिर बनाकर स्थापित कर लिया.

करीब 70 सालों से नियमित गांधी जी को पूजने का सिलसिला चल रहा है. आज भी हर रोज सुबह शाम चौहान परिवार में गांधी जी भगवान की तरह पूजे जाते हैं. इसके अलावा 2 अक्टूबर को गांधी जी की विशेष पूजा-अचर्ना की जाती है. बोर्रा चौहान की मृत्यु के बाद से लगातार उनके परिवार के सदस्यों द्वारा इस परंपरा को जीवित रखा गया है. पूरन चौहान बताते हैं कि वे अपने पूवर्जों से विरासत में मिली हुई इस परंपरा को कभी खत्म होने नहीं देंगे और हर रोज गांधी मंदिर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को पूजते रहेंगे.

प्रशासनिक अनदेखी का शिकार
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बोर्रा चौहान का परिवार आज प्रशासनिक अनदेखी का शिकार है. स्वतंत्रता सेनानी के परिवारों को शासन की ओर से मिलने वाली योजनाओं से परिवार आज भी उपेक्षित और अनजान है. स्वतंत्रता सेनानी का परिवार आज बेरोजगारी की समस्या से भी जूझ रहा है. दूसरों के घर मजदूरी करके चौहान परिवार का गुजारा चल रहा है. आजादी के पथ प्रदर्शक महात्मा गांधी को भगवान मानकर पूजने वाले इस चौहान परिवार की सुध जिला प्रशासन ने आज तक नहीं ली.

चौहान समाज के लिए भी समर्पित
महात्मा गांधी की अनन्य भक्त बोर्रा चौहान की बहन कुमारी नान्हूदाई चौहान सारंगढ की विधायक भी रह चुकी हैं. उन्होंने महज 13 साल की उम्र में अपना राजनैतिक जीवन शुरू किया था. इसकी बदौलत उन्हें 60 के दशक में सारंगढ विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट मिली. बताया गया कि कुमारी नान्हूबाई चौहान समाज सेवा के लिए समर्पित रहीं और उन्होंने विवाह भी नहीं किया था. अपने राजनैतिक जीवन में उन्हें दो बार विधायक बनने का मौका मिला था.

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