पांच मई को चंद्र ग्रहण है। यह 4 घंटे 15 मिनट का होगा। इसकी शुरुआत रात 8.44 बजे से होगी और समाप्ति 01.02 बजे। चंद्र ग्रहण के दौरान भी महाकाल मंदिर के पट खुले रहेंगे। आमतौर पर किसी भी ग्रहण के दौरान मंदिरों के पट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन महाकाल मंदिर में ऐसा नहीं किया जाता है।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि महायोगी महाकाल काल और मृत्यु से परे हैं। उन पर किसी भी प्रकार के ग्रह, नक्षत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार ग्रहण काल के समय भी गर्भगृह के पट खुले रहते हैं। सांसारिक मनुष्य को ग्रहण का दोष लगता है। इसलिए ज्योतिर्लिंग की पवित्रता का ध्यान रखते हुए ग्रहण काल में पुजारी व भक्तों का गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित रहता है। ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिर को धोकर शुद्ध किया जाता है। इसके बाद पुजारी पूजन करते हैं।
ग्रहण के दौरान शिवलिंग का स्पर्श नहीं करते
धर्मधानी उज्जयिनी में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल म्रंदिर के पट ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं। हालांकि, इस दौरान न तो पूजा अर्चना होती है और न ही शिवलिंग का स्पर्श किया जा सकता है। पंडितों का इस बारे में कहना है कि महाकाल मंदिर पर ग्रहण के सूतक का कोई असर नहीं होता।
महाकाल काल के देवता हैं, इसलिए उन पर असर नहीं होता
माना जाता है कि भगवान महाकाल चूंकि काल के देवता हैं इसलिए उन पर ग्रहण का असर नहीं होता है। कुछ पंडितों के अनुसार ग्रहण के दौरान वैष्णव मंदिरों के द्वार भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जबकि शैव मंदिरों के द्वार खुले रखे जाते हैं।