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स्कूल जाने जान हथेली पर : पार करनी पड़ रही उफनती नदी, धीमी गति से हो रहा पुल का निर्माण

मैनपुर। गरियाबंद जिले के तहसील मुख्यालय मैनपुर से केवल 05 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत देहारगुडा के आश्रित ग्राम खाम्भाठा के दर्जनों आदिवासी बच्चों को स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए बारिश के दिनों में जान जोखिम में डालकर पैरी नदी पार कर स्कूल तक आना पड़ता है। बताया जा रहा है कि कभी कभी तो अत्यधिक बारिश होने पर नदी में भारी बाढ और तेज बहाव के कारण बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहां रहकर रात गुजारनी पड़ती है।

जानकारी के अनुसार, इस पैरी नदी में लगभग 05 करोड़ की लागत से लोक निर्माण सेतु संभाग निगम द्वारा बड़ा पुल का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन पुल निर्माण कार्य धीमी गति होने के कारण बारिश से पहले पुल का निर्माण नहीं हो पाया और नदी किनारे एप्रोच सड़क का निर्माण किया गया था। लगातार एक सप्ताह से रुक-रुककर हो रही बारिश के कारण सोमवार सुबह यह एप्रोच मार्ग नदी में बने अस्थाई रपटा और सड़क टूट कर बह गया। जिसके कारण इस गांव के बच्चों को अब जान जोखिम में डालकर स्कूल पढ़ाई करने आना पड़ रहा है।

बच्चों को ग्रामीण करा रहे नदी पार

मंगलवार को गांव के बच्चों को ग्रामीणों ने जैसे तैसे नदी पार कराकर स्कूल तक पहुँचाया। सबसे ज्यादा परेशानी यह है कि अत्याधिक बारिश होने पर बच्चों को स्कूल वाले देहारगुड़ा में अपने रिश्तेदारों के यहां रुकना पड़ता है और तो और नदी पार कराने के लिए बारिश के दिनों में ग्रामीणों को ट्यूब का सहारा लेना पड़ता है। ट्यूब में बिठाकर बच्चों को नदीपार करना पड़ता है, जिससे हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है। ग्राम देहारगुडा के सरपंच डिगेश्वरी साण्डे, पूर्व सरपंच देवन नेताम एवं लोकेश साण्डे ने बताया कि 20 से 30 बच्चे खाम्भाठा से देहारगुडा पढाई करने आते है, और बारिश के पूरे चार माह से बच्चे जान जोखिम में डाल कर स्कूल तक पहुंचते हैं।

नहीं बन पाया अब तक पुल

यह बाकड़ी नदी आगे चलकर सिकासार जलाशय में मिलती है। यहां बारिश के पूरे चार माह कमर तक पानी चलते रहता है और बारिश होने पर जंगलों तथा पहाड़ी इलाके के पानी आने से यह नदी अचानक उफान पर आ जाती है। यहां अब तक इस नदी में पुल निर्माण नहीं होने से आज भी बोड़पाला, जरण्डी क्षेत्र के ग्रामीण व स्कूली छात्र इस नदी में जान जोखिम में डालकर आने जाने को मजबूर हैं। इस क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक एवं जंगलधवलपुर के पूर्व सरपंच कन्हैया ठाकुर, हबीब मेमन, केदारसिंह दाउ, लोकेश ठाकुर, टिकेश्वर तिवारी, नितेश साहू व क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया यह इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है। बारिश के दिनों में जुलाई, अगस्त, सितम्बर में यहां कमर तक तीन माह तक पानी चलता है और इसी नदी को पारकर स्कूली छात्र ट्यूब के सहारे या कभी तैरकर स्कूल तक पहुंचते। वहीं, ग्रामीण राशन लेने भी इसी तरह आते हैं। सबसे ज्यादा परेशान गर्भवती महिलाओं को होती है। उन्हें भी इस नदी को खाट के माध्यम से पार करा कर अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। ग्रामीणों ने बताया जरण्डी, बोड़ापाला क्षेत्र से लगभग 5 से 20 छात्र हाईस्कूल व कॉलेज की पढ़ाई करने नदी पार कर आते है|

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