माह में दो बार एकादशी आती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में एकादशी पड़ती है। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 20 मार्च को पड़ रही है। इस एकादशी को रंगभरी एकादशी और आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों को किया जाए, तो पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है और व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि रंगभरी एकादशी के दिन किन कार्यों को नहीं करना चाहिए।
रंगभरी एकादशी शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, रंगभरी एकादशी तिथि 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन यानी 21 मार्च को 02:22 बजे समाप्त होगी। ऐसे में रंगभरी एकादशी का व्रत 20 मार्च को रखा जाएगा।
एकादशी पर इन नियमों का करें पालन
रंगभरी एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से व्यक्ति को अगला जन्म सरीसृप के रूप में मिलता है।
एकादशी के दिन नाखून और बाल भी नहीं काटने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस काम को करने से कई परेशानियां आ सकती हैं। साथ ही देवी-देवता भी नाराज होते हैं।
रंगभरी एकादशी व्रत के दौरान शैम्पू, तेल और साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
रंगभरी एकादशी के व्रत में किसी भी तरह के बुरे विचार मन में न लाएं।
इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा करें, जल चढ़ाएं। इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
रंगभरी एकादशी के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
इसके अलावा व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह पूजा करने के बाद दिन में सोना नहीं चाहिए।