शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के बुरे असर से बचना हैं तो जरूर करें ये उपाय

सभी नौ ग्रहों को शनिदेव का दुष्प्रभाव से हर जातक बचना चाहता है क्योंकि शनिदेव की बुरी दृष्टि जातक के जीवन में कई तरह की परेशानियां खड़ी कर देती है। ऐसे में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आज कई जातक शनि प्रदोष व्रत भी रखेंगे। शनि प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इस दिन यदि पूरे विधि विधान से शनिदेव की पूजा अर्चना की जाती है तो पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

आज है शनि प्रदोष व्रत

आज 4 मार्च, 2023 को शनि प्रदोष व्रत है। ज्योतिष के मुताबिक फिलहाल कुंभ, मकर, मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती और तुला, वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। ऐसी परिस्थिति में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है।

इस लिंगाष्टकम स्तोत्र का करें पाठ

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।

जन्मज दुःख विनाशक लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥1॥

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।

रावण दर्प विनाशन लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥2॥

सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् ।

सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥3॥

कनक महामणि भूषित लिङ्गं फनी पति वेष्टित शोभित लिङ्गम् ।

दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥4॥

कुङ्कुम चन्दन लेपित लिङ्गं पङ्कज हार सुशोभित लिङ्गम् ।

संचित पाप विनाशन लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥5॥

देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्ति भिरेव च लिङ्गम् ।

दिनकर कोटि प्रभाकर लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥6॥

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं सर्वसमुद्भवकारण लिङ्गम् ।

अष्ट दरिद्र विनाशक लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥7॥

सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।

परात्परं परमात्मा लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥8॥

लिङ्गाष्टकं मिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

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