छत्तीसगढ़ में ईडी ने पकड़ा दो हजार करोड़ का शराब घोटाला, शराब की हर बोतल से मिलती थी अवैध राशि

रायपुर : छत्तीसगढ़ में शराब के अवैध कारोबार पर शिकंजा कसते हुए प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने करीब दो हजार करोड़ के घोटाले और मनी लांड्रिंग के सबूत एकत्र किए हैं। ईडी ने शराब के अवैध कारोबार का संचालन कर रहे रायपुर के कारोबारी अनवर ढेबर को शनिवार को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया, जहां से उनको चार दिन की रिमांड पर लिया गया।

ईडी की जांच में सामने आया है कि साल 2019-22 में राज्य में शराब की कुल बिक्री का करीब 30-40 फीसद अवैध बिक्री हुई। इससे 1200-1500 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा हुआ। ईडी ने शराब घोटाले को लेकर मार्च में कई स्थानों पर तलाशी और छापेमारी की थी।

ईडी की ओर से जारी बयान के अनुसार, अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में काम कर रहा था। इस सिंडिकेट में शराब कारोबारी, नेता और उच्च प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। इस सिंडिकेट को प्रदेश में बिकने वाली शराब की हर बोतल से अवैध राशि प्राप्त होती थी।

छत्तीसगढ़ राज्य में बेची जाने वाली शराब की प्रत्येक बोतल से अवैध रूप से पैसा एकत्र किया जा सके। ईडी ने कोर्ट में पेश आरोप पत्र में कहा है कि अनवर ढेबर इस पूरे अवैध धन के संग्रह के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इस घोटाले का अंतिम लाभार्थी नहीं है। एक प्रतिशत कटौती के बाद उन्होंने शेष राशि अपने राजनीतिक आकाओं को दे दी थी।

इस तरह चल रहा था अवैध कारोबार

ईडी की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, अनवर ढेबर की राजनीतिक और प्रशासनिक दखल के कारण उनकी पसंद के आबकारी आयुक्त और एमडी की नियुक्ति की जाती थी। उन्होंने निजी डिस्टिलर्स, एफएल-10ए लाइसेंस धारकों, आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, जिला स्तर के आबकारी अधिकारियों, मैन-पावर सप्लायर्स, ग्लास बाटल मेकर, होलोग्राम मेकर, कैश-कलेक्शन वेंडर आदि से लेकर शराब के कारोबार की पूरी श्रृंखला को नियंत्रित किया। ऐसा करके अधिकतम रिश्वत, कमीशन वसूला गया।

सरकार संचालित करती है 800 शराब दुकान

छत्तीसगढ़ में शराब की खरीदी और बिक्री पर सरकार का नियंत्रण है। सभी 800 शराब दुकानें राज्य सरकार संचालित करती है। छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) छत्तीसगढ़ में बेची जाने वाली सभी शराब की खरीद केंद्रीय रूप से करता है।

सिंडिकेट ने तीन तरीके से कमाए अवैध पैसे

ईडी की जांच में पता चला कि सिंडीकेट को तीन अलग-अलग तरीकों से फायदा हो रहा था। पहला, सीएसएमसीएल की सभी खरीदी पर सिंडीकेट द्वारा 75-150 रुपये कमीशन लिया गया। दूसरा, अनवर ढेबर ने बिना हिसाब-किताब के देशी शराब बनवाकर सरकारी दुकानों के माध्यम से बेचा। इससे राजकोष में जमा किए बिना बिक्री की पूरी आय सिंडिकेट ने रख ली।

डुप्लीकेट होलोग्राम दिए गए। नकली बोतलें नकद में खरीदी गईं। राज्य के गोदामों से गुजरते हुए शराब को डिस्टिलर से सीधे दुकानों तक पहुंचाया जाता था। अवैध शराब बेचने के लिए मैन पावर को प्रशिक्षित किया गया था। पूरी बिक्री नकद में की गई। तीसरा, विदेशी शराब आपूर्तिकर्ताओं से एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से कमीशन वसूला गया। ये लाइसेंस अनवर ढेबर के सहयोगियों को दिए गए थे।

ईडी ने इस तरह अनवर ढेबर को पकड़ा

ईडी ने अनवर ढेबर के आवासीय परिसर सहित छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में 35 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया था। हर बार वह भागने में सफल हो रहा था। अनवर को सात बार समन भेजा गया, लेकिन वे जांच में शामिल नहीं हुए। ईडी के अनुसार, वह लगातार बेनामी सिम कार्ड, इंटरनेट डोंगल का उपयोग कर रहे थे। निगरानी के बाद अनवर को रायपुर के एक होटल में पकड़ा गया, जहां वह नाम बदलकर रह रहा था।

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