दीपो का महापर्व दीपावली आज : जानिए लक्ष्मी पूजन मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

रायपुर : 20 अक्तूबर को पूरे देश में दिवाली मनाई जा रही है। यह कार्तिक माह की अमावस्या तिथि है। इस दिन घरों से लेकर मंदिरों में लक्ष्मी पूजन का भव्य आयोजन किया जाता है। इसके प्रभाव से जीवन में खुशियां, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही व्यक्ति के धन-धान्य में वृद्धि होती हैं। आइए इस दिन के शुभ योग और महत्व को जानते हैं
लक्ष्मी पूजा विधि
लक्ष्मी पूजन से पहले घर की साफ-सफाई का खास महत्व है, इसलिए सभी जगह गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं।
अब लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वप्रथम एक साफ चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं।
अब चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें और सजावट का सामान से चौकी सजाएं।
माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति को वस्त्र पहनाएं और इस दौरान देवी को चुनरी अवश्य अर्पित करें।
अब साफ कलश में जल भरें और चौकी के पास रखें दें।
प्रथम पूज्य देवता का नाम लेते हुए भगवानों को तिलक लगाएं ।
लक्ष्मी-गणेश को फूल माला पहनाएं और ताजे फूल देवी को अर्पित करें। इस दौरान कमल का फूल चढ़ाना न भूलें।
अब अक्षत, चांदी का सिक्का, फल और सभी मिठाई संग भोग अर्पित करें।
यदि आपने किसी वस्तु या सोना-चांदी की खरीदारी की है, तो देवी लक्ष्मी के पास उसे रख दें।
शुद्ध देसी घी से दीपक जलाएं और इसके साथ ही घर के कोने में रखने के लिए कम से कम 21 दिए भी इसके साथ जलाएं।
अब भगवान गणेश जी आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ भी करें
देवी लक्ष्मी की आरती और मंत्रों का जाप करें।
अब घर के सभी कोनों में दीपक रखें और तिजोरी में माता की पूजा में उपयोग किए फूल को रख दें।
अंत में सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।
पूजन सामग्री
पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा और कलावा अवश्य रखें।
भगवानों के वस्त्र और शहद शामिल करें।
गंगाजल, फूल, फूल माला, सिंदूर और पंचामृत।
बताशे, इत्र, चौकी और लाल वस्त्र के साथ कलश।
शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का।
कमल का फूल और हवन कुंड।
हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद
रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान।
इस दौरान सुपारी, नारियल और मिट्टी के दीए संग रुई भी शामिल करें।
प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का महत्व
प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व इसलिए माना गया है क्योंकि यह समय आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली और शुभफलदायी होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त के बाद का लगभग दो घंटे का समय प्रदोष काल कहलाता है, जो दिन और रात के मिलन का संधिकाल होता है। इस समय ब्रह्मांड में सात्विक और दिव्य ऊर्जा का प्रवाह अपने उच्चतम स्तर पर होता है, जिससे की गई पूजा अत्यधिक प्रभावशाली और फलदायी मानी जाती है। विशेष रूप से दीपावली के दिन यह काल और भी शुभ हो जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इसी समय मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं और उन घरों में प्रवेश करती हैं जहाँ स्वच्छता, दीपों की रौशनी, भक्ति और श्रद्धा से युक्त वातावरण होता है। जो व्यक्ति प्रदोष काल में विधिपूर्वक लक्ष्मी पूजन करता है, उसके घर में मां लक्ष्मी की कृपा से स्थायी रूप से धन, सुख और समृद्धि का वास होता है। अतः यह काल केवल पूजा का नहीं, बल्कि ईश्वर से जुड़ने और जीवन में सौभाग्य को आमंत्रित करने का सर्वोत्तम अवसर माना गया है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ इस दिन भगवान गणेश, माता सरस्वती और भगवान कुबेर की पूजा करने का विधान होता है। हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन का खास महत्व होता है। प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त। यह समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। लक्ष्मी पूजन के लिए स्थिर लग्न भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यानी प्रदोष काल और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना शुभ लाभों में वृद्धि और सर्वोत्तम माना जाता है। वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ लग्न स्थिर लग्न लग्न माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात को अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करने पर माता लक्ष्मी घर में अंश रूप में वास करने लगती हैं।
दिवाली लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 20 अक्तूबर को शुभ दीपावली का त्योहार है। दिवाली की रात प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात 07 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस तरह के लक्ष्मी पूजन के लिए करीब 01 घंटा 11 मिनट का समय मिलेगा।
वाली 2025
कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होगी।
तिथि का समापन अगले दिन यानी 21 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर है।
20 अक्तूबर 2025 को दिवाली का पर्व मान्य होगा।
शुभ योग में दीपावली आज, जानिए लक्ष्मी पूजन मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र
दिवाली 2025
रौशनी और उमंगों का पर्व दिवाली 20 अक्तूबर 2025 को मनाया जा रहा है। यह कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास से अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से यह पर्व दीपों के उत्सव यानी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। यह न केवल रौशनी का पर्व है बल्कि दिवाली प्रेम, आनंद और नई शुरुआत का प्रतीक भी होती हैं। मान्यता है कि यह दिन सभी के जीवन में नई उम्मीदें, सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश को लेकर आता है। इसलिए इस दिन घरों से लेकर मंदिरों में धन की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधानपूर्वक पूजा की जाती है। इससे घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य, प्रेम तथा यश-वैभव बना रहता है।