दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर लगाया आरोप

कई साजिशे और जाल बिछाया है भाजपा ने और इसलिए किया जा रहा है पावर का दुरुपययोग, बताया मनीष सिसोदिया ने , जाने क्या है असली वजह यहां

रायपुर। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर सनसनीखेज आरोप लगाया कि वह आप सरकार और उसके मंत्रियों को निशाना बनाने के लिए दिल्ली के अधिकारियों पर ‘असंवैधानिक’ नियंत्रण बनाए रखना चाहती है। सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापनों पर कथित तौर पर खर्च किए गए 163.62 करोड़ रुपए की वसूली को लेकर ‘आप’ को नोटिस जारी होने के बाद उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के अखबारों में भाजपा के मुख्यमंत्रियों के विज्ञापन भी छपते हैं। क्या भाजपा उनसे भी विज्ञापन का खर्च वसूलेगी?

उन्होंने कहा कि मैं भाजपा से कहना चाहूंगा कि वह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के मंत्रियों को निशाना बनाने के लिए दिल्ली के अधिकारियों का गलत इस्तेमाल बंद करे। सिसोदिया ने बताया कि ‘आप’ ने यह देखने के लिए डीआईपी की सचिव से संबंधित विज्ञापनों की सूची मांगी है कि उनमें क्या अवैध है। इससे पहले, सिसोदिया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था कि दिल्ली के अधिकारियों पर असंवैधानिक नियंत्रण का नाजायज इस्तेमाल देखिए-भाजपा ने दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय की सचिव एलिस वाज (आईएएस) से नोटिस दिलवाया है कि 2017 से दिल्ली के बाहर के राज्यों में दिए गए विज्ञापनों का खर्च मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी से वसूला जाएगा। उन्होंने आगे लिखा, ‘दिल्ली के अखबारों में भाजपा के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विज्ञापन छपते हैं। पूरी दिल्ली में भाजपा के मुख्यमंत्रियों के फोटो वाले सरकारी होर्डिंग लगे हैं। क्या इनका खर्च भाजपा के मुख्यमंत्रियों से वसूला जाएगा?”

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वहीं, ‘आप’ के राष्ट्रीय सचिव पंकज कुमार गुप्ता ने सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी) को पत्र लिखकर कहा है कि 163.62 करोड़ रुपए की मांग ‘गलत’ और ‘मनमानी’ है। उन्होंने उन विज्ञापनों की प्रतियां उपलब्ध कराने की मांग की है, जिनका खर्च वसूला जाना है।इस घटनाक्रम से करीब एक महीने पहले दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्य सचिव को सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में ‘आप’ से 97 करोड़ रुपए वसूलने का निर्देश दिया था। डीआईपी की ओर से जारी वसूली नोटिस में उक्त राशि पर लगाया गया व्याज भी शामिल किया गया है।

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