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साजिशकर्ता दरोगा गए जेल, लिखा – नेताजी को बता देना… नाम आया सामने, पढ़ें जांच रिपोर्ट

सुकमा। छत्तीसगढ़ के कोंटा में रेत तस्करी का पर्दाफ़ाश करने गए चार पत्रकारों के खिलाफ बड़ी साजिश रचना टीआई अजय सोनकर (Ajay Sonkar) को भारी पड़ गया. एफआईआर के बाद गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया गया है.एसपी ने उसे सस्पेंड भी कर दिया है. गिरफ्तारी के पहले टीआई सोनकर ने सोशल मीडिया पर एक लाइन का मैसेज छोड़ा है , जिसमें उसने लिखा है नेता जी को बता देना … इस मैसेज से अब फिर हड़कंप मच गया है, पत्रकारों को फंसाने की साजिश के पीछे किस नेता जी का हाथ है ? इस पूरी साजिश के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है इसका खुलासा होना अभी बाकी है. बारीकी से जांच की गई तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं. हालांकि मीडिया कर्मियों के सामने उस नेताजी का नाम भी आ गया है.

गांजा तस्करी के आरोप में पत्रकारों को फंसाए जाने के मामले ने छत्तीसगढ़ में तूल पकड़ लिया है. जहां मीडिया जगत में भारी आक्रोश है, वहीं विपक्षी भी सरकार को घेरने के लिए पीछे नहीं है. इस मामले की भारी आलोचना हो रही है और हर कोई पूरे मामले का पर्दाफाश कर पत्रकारों के रिहाई की मांग कर रहा है. इधर सरकार ने भी इस मामले में एक्शन लेना शुरू कर दिया है. डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा के निर्देश के बाद पहली कार्रवाई टीआई के निलंबन, गिरफ्तारी और जेल भेजने की हो गई है. इसके बाद अब पत्रकारों में एक आस जगी है.

इस घटना से जुड़े सीसीटीवी फुटेज की एक क्लिप मीडिया के हाथ लगी है. जिसमें गांजा तस्करी के आरोप में फंसाए गए पत्रकारों की गाड़ी के आसपास दो लोग मंडराते और गाड़ी का लॉक तोड़ने की कोशिश करते हुए दिख रहे हैं.

इस बीच गिरफ्तारी से पहले टीआई ने सोशल मीडिया पर एक मैसेज किया है नेताजी को बता देना.. इससे साफ़ पता चल रहा है कि रेत की इस अवैध तस्करी में टीआई के साथ और भी कइयों की भूमिका है. इधर सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस भी पीछे नहीं है.पूर्व सीएम भूपेश बघेल से लेकर स्थानीय स्तर के नेता इस मामले में सरकार को जमकर घेर रहे हैं. सर्व आदिवासी समाज, भाकपा के नेता भी इस साजिश का विरोध कर पत्रकारों के रिहाई की मांग कर रहे हैं.

मंगलवार को संभाग मुख्यालय जगदलपुर में पत्रकारों की बैठक हुई. जिसमें पूरे संभाग के 150 से ज़्यादा पत्रकार शामिल हुए. सभी ने इस बारे में चर्चा कर रणनीति बनाई. इस पूरे मामले की जांच CBI या SIT से कराने की मांग सरकार से करेंगे.

सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि 11 अगस्त को जिले के कुछ पत्रकारों ने ज्ञापन में आरोप लगाया था कि चिंतूर पुलिस की कार्रवाई के संबंध में कोंटा थाना प्रभारी सोनकर की भूमिका संदिग्ध है. जांच के लिए सुकमा के एसडीओपी परमेश्वर तिलकवार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया था. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि दंतेवाड़ा के रहने वाले सीनियर जर्नलिस्ट बप्पी रॉय और तीन अन्य नौ अगस्त को कोंटा गए थे, जहां इरशाद खान और माडवी पवन नामक दो लोगों ने उन्हें बुलाया था.

चारों वहां खान के भाई की जन्मदिन पार्टी में शामिल हुए थे. बाद में बप्पी और तीन अन्य ने रेत ठेकेदार चंदू के रेत से लदे ट्रकों को तब रोका जब ट्रक पड़ोसी राज्य जा रहे थे. इसके बाद उनका ट्रक चालकों से विवाद हो गया. इसकी सूचना मिलने पर कोंटा थाना प्रभारी वहां पहुंचे और जायजा लेने के बाद लौट गए. बाद में बप्पी और तीन अन्य कोंटा स्थित आरएसएन लॉज में रुक. जहां रेत ठेकेदार चंदू भी रह रहा था. खान और पवन नौ अगस्त की रात राय की कार को कहीं ले गए और लॉज लौट आए. सोनकर भी उसी रात उसी इलाके में गश्त पर थे.

अगले दिन चिंतूर पुलिस ने एनडीपीएस के तहत छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया और चार पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया. जबकि खान और माडवी फरार बताए गए हैं.

SP ने बताया कि खान और पवन के खिलाफ पहले भी एनडीपीएस, धोखाधड़ी और अन्य मामलों में अपराध दर्ज है. मामला सामने आने के बाद थाना प्रभारी सोनकर आरएसएन लॉज गया और सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर अवैध रूप से ले गया, जो एक अनधिकृत और आपराधिक कृत्य था. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सोनकर को निलंबित कर दिया गया है. सोनकर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है तथा उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. पूरे मामले की जांच जारी है.

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