इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और उज़्बेकिस्तान के डेनाउ इंस्टीट्यूट के बीच हुआ ऐतिहासिक शैक्षणिक समझौता

Chhattisgarh रायपुर। छत्तीसगढ़ की इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (IGKV), रायपुर और उज़्बेकिस्तान के डेनाउ इंस्टीट्यूट ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप एंड पेडागॉजी के बीच एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक और शोध सहयोग समझौता हुआ है। इस करार के तहत दोनों देशों के छात्र एवं शिक्षक अब एक-दूसरे के संस्थानों में पढ़ाई और अनुसंधान कर सकेंगे।
यह समझौता एक ऑनलाइन समारोह के दौरान संपन्न हुआ, जिसमें उज़्बेकिस्तान में भारत की राजदूत सुश्री स्मिता पंत की विशेष उपस्थिति रही।
समझौते पर IGKV के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल और डेनाउ इंस्टीट्यूट के रेक्टर प्रो. आयबेक रोज़िव ने हस्ताक्षर किए। करार के अनुसार, छत्तीसगढ़ के विद्यार्थी स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध कार्यक्रमों के लिए उज़्बेकिस्तान जा सकेंगे, वहीं उज़्बेक छात्रों को IGKV में कृषि और संबद्ध विषयों में अध्ययन का अवसर मिलेगा। दोनों संस्थानों के प्राध्यापक और वैज्ञानिक भी आपसी शोध एवं शिक्षण गतिविधियों में भाग लेंगे।
राजदूत स्मिता पंत ने कहा कि भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच प्राचीन व्यापारिक और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। उन्होंने बताया कि डेनाउ संस्थान के 22 संकाय सदस्य पहले ही भारत में शोध कर चुके हैं। यह समझौता कृषि, पर्यावरण, जल संरक्षण और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों के द्वार खोलेगा। साथ ही, उन्होंने IGKV टीम को उज़्बेकिस्तान की शैक्षणिक सुविधाओं का दौरा करने का आमंत्रण दिया।
डेनाउ इंस्टीट्यूट के रेक्टर प्रो. रोज़िव ने बताया कि उनका संस्थान मात्र पांच वर्ष पुराना है, और IGKV की समृद्ध शिक्षण परंपरा और शोध संसाधनों से उनके छात्रों को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा।
IGKV के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि साझा करते हुए बताया कि 1903 में यहां धान अनुसंधान केंद्र की स्थापना हुई थी, 1961 में कृषि महाविद्यालय और 1987 में विश्वविद्यालय की नींव रखी गई। उन्होंने डेनाउ इंस्टीट्यूट के छात्रों और शिक्षकों को रायपुर आने का निमंत्रण भी दिया।
यह समझौता भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच शिक्षा एवं शोध क्षेत्र में सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।