सिपाही की नौकरी लगाने के नाम पर लाखों की ठगी, खुद को पीएचक्यू में सीएसपी बताकर ऐंठ लिए रुपये, मामला दर्ज

दुर्ग : पुलिस विभाग में सिपाही की नौकरी लगाने के नाम पर एक युवक से चार लाख 46 हजार रुपये की  करने वाले ठगी के आरोपितों के खिलाफ जामुल पुलिस ने प्राथमिकी की है। आरोपितों में से एक खुद को पीएचक्यू का सीएसपी बताता था और वह वर्तमान में जेल में बंद है। बाकी के आरोपितों की तलाश की जा रही है। आरोपितों ने अलग-अलग बहाने से पीड़ित से ठगी की थी। खुद को सीएसपी बताने वाले आरोपित ने पीड़ित को व्हाट्स एप पर फर्जी नियुक्ति पत्र भी भेजा था, जिसमें कबीरधाम जिले में उसकी नौकरी लगने की बात लिखी हुई थी। पीड़ित ने जब कबीरधाम जिले में जाकर उस नियुक्ति पत्र के बारे में पता किया तो उसे फर्जीवाड़े का पता चला। इसके बाद उसने पुलिस से शिकायत की, जिसके आधार पर पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा के तहत प्राथमिकी की है।

पुलिस ने बताया कि घासीदास नगर जामुल निवासी शिकायतकर्ता रमेश चौहान ने वर्ष 2018 में जिला पुलिस बल की भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन किया था। वर्ष 2021 में शारीरिक दक्षता की परीक्षा देने के बाद उसने अपने परिचित प्रेमरतन दीक्षित से नौकरी के संबंध में चर्चा की थी। प्रेमरतन दीक्षित ने उसे शशिकांत दुबे के बारे में बताया। उसने बताया कि शशिकांत दुबे आजाद मार्केट रिसाली में रहता है और वह पुलिस विभाग में नौकरी लगवाता है। इसके बाद पीड़ित ने आरोपित शशिकांत दुबे से मुलाकात की। शशिकांत दुबे ने अपने साथी अवधेश यादव, गौरव वैष्णव और पीएचक्यू के कथित सीएसपी विष्णु सोरेन के बारे में पीड़ित को बताया। आरोपितों ने पीड़ित से कहा कि भर्ती करवाने के लिए उन्हें तीन लाख रुपये देने होंगे। पीड़ित ने रुपयों की व्यवस्था कर उन्हें तीन लाख रुपये दिए। आरोपितों में विष्णु सोरेन ने दावा किया था कि वो पीएचक्यू में सीएसपी है और वह भर्ती परीक्षा में चयनित जवानों की सूची जारी करता है।

वहीं आरोपित अवधेश यादव ने खुद को दुर्ग जिला कांग्रेस का पूर्व अध्यक्ष बताते हुए राजनीतिक पहुंच होने का झांसा दिया था। रुपये लेते समय आरोपितों ने दावा किया था कि यदि किसी कारणवश नौकरी नहीं लग पाती है तो वे रुपये वापस लौटा देंगे। तीन लाख रुपये लेने के बाद आरोपितों ने पीड़ित को फोन किया और बोला कि सूची जारी होने वाली है और उसमें काट छांट चल रहा है। सूची में नाम शामिल करवाने के लिए 50 हजार रुपये और लगेंगे। जुलाई 2021 में पीड़ित ने फिर से व्यवस्था कर 46 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर किया। रुपये लेने के बाद करीब एक साल तक आरोपितों ने उसे यह बोलकर घुमाया कि जितने भी जवान भर्ती हुए हैं, उन सभी ने रिश्वत लेकर नौकरी पाई है। इसलिए उसकी जांच चल रही है। इसलिए उसकी नौकरी लगने में देरी हो रही है।

इसके बाद आरोपितों ने वरिष्ठ अधिकारियों के स्थानांतरण की बात कहते हुए फिर से ढाई लाख रुपये मांगे। पीड़ित ने 26 अगस्त 2022 को एक लाख रुपये फिर से आरोपितों को दिया। इसके बाद आरोपितों ने फिर से उसे घुमाना शुरू कर दिया। इसके बाद विष्णु सोरेन ने पीड़ित को वाट्सएप पर एक ज्वाइनिंग लेटर भेजा। जिसमें जिला कबीरधाम में आरक्षक की नौकरी लगने की बात लिखी हुई थी। आरोपित ने ये भी कहा कि वह इस ज्वाइनिंग लेटर को किसी को न दिखाए।

एक महीने में पोस्ट के माध्यम से उसके पास लेटर पहुंच जाएगा। समय बीतने के बाद पीड़ित ने कबीरधाम एसपी कार्यालय में जाकर ज्वाइनिंग लेटर के संबंध में पतासाजी की तो उसे बताया गया कि वह लेटर फर्जी है। इसके बाद पीड़ित ने जामुल पुलिस से शिकायत की। इसके आधार पर आधार पर आरोपित शशिकांत दुबे, अवधेश यादव, गौरव वैष्णव और विष्णु सोरेन के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा के तहत प्राथमिकी की है। आरोपित विष्णु सोरेन को कुछ महीने पहले ही सुपेला पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में ही रायपुर से गिरफ्तार किया था। वह वर्तमान में जेल में बंद है। वहीं बाकी के आरोपितों की तलाश की जा रही है।

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