बसंत पंचमी के दिन करें इस मंत्र का जाप, मां शारदा होंगी प्रसन्न, देंगी आशीर्वाद

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को माता सरस्वती का अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसे बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा या सरस्वती जयंती कहते हैं।

मां सरस्वती की कृपा से ही संसार के सभी जीवों को ज्ञान और वाणी प्राप्त हुई। इस दिन मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र पहनते हैं और मां शारदा को पीले फूल अर्पित करते हैं। इस बार बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा।

बसंत पंचमी के दिन जब आप माता सरस्वती की स्थापना करने के बाद पूजन करें और मां के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद उनके सामने सरस्वती वंदना और पूजा मंत्र पढ़ें। अंत में कपूर से आरती कर लें। आइए जानते हैं सरस्वती पूजा का मुहूर्त और सरस्वती मंत्र व वंदना-

सरस्वती पूजा मुहूर्त का शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा सुबह 07 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगी और दोपहर में 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी।

सरस्वती पूजा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।

हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌,

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

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