आत्मानंद में कुर्सी-दौड़ : मांगी थी 100 से 720 बेंच मिली सिर्फ 30-40, टूटे-फूटे सिस्टम में होनहार ‘एडजस्ट’

रायपुर। स्वामी आत्मानंद विद्यालयों को इस बार पूर्व की तरह आकस्मिक निधि नहीं मिल पाई। पूर्व सत्रों में प्रत्येक आत्मानंद विद्यालयों को 5-5 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती थी। इस बार प्रत्येक को 78-78 हजार रुपए दिए गए। बिजली ऑफिस से बकाया बिल को लेकर तकादा हुआ तो एक लाख रुपए और भेज दिए, लेकिन छात्रों की बैठक व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी। छात्रों के लिए सत्र शुरु होने के साथ ही कुर्सी- टेबल की सूची बनाकर सौंप दी गई थी। लंबे इंतजार के बाद विद्यार्थियों के लिए कुर्सी-टेबल तो लोक शिक्षण संचालनालय से प्रेषित की गईं, लेकिन ये भी मांगी गई संख्या से आधी ही रही।

जिन स्कूलों ने 100 बेंच मांगी थी, उन्हें 30-40 ही सौंप दिए। ये स्थिति कहीं और की नहीं, बल्कि राजधानी रायपुर के स्वामी आत्मानंद विद्यालयों की है। इधर, फरियाद देकर थक चुके स्कूल गिनती के नए बेंच आने के बाद उन बेंच को छांटकर बाहर कर रहे हैं, जो इस्तेमाल के लायक बिल्कुल भी नहीं है। जो ज्यादा जर्जर नहीं हुए हैं, उन्हें एडजस्ट करके काम चलाया जा रहा है। राजधानी के शाला प्राचार्यों का कहना है कि हमारे पास इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है। बड़े छात्रों को जमीन पर नहीं बैठा सकते। कील ठोककर तो किसी में पत्थर टिकाकर काम चलाया जा रहा है।

किताबें रखने अलमीरा नहीं

छात्रों की प्रायोगिक परीक्षाएं 10 जनवरी से प्रारंभ हो गई हैं। कुछ विद्यालयों में प्रायोगिक परीक्षाएं संपन्न हो चुकी हैं, तो कुछ में जारी हैं। प्री बोर्ड परीक्षाएं भी शुरू की जा चुकी हैं। व्यवस्था नहीं होने के कारण छात्रों को वार्षिक परीक्षाएं भी टूटी-फूटी बेंच में ही दिलानी पड़ेगी। स्कूलों ने बेंच के साथ ही शिक्षकों के लिए कुर्सी, ऑफिस चेयर, ग्रीन बोर्ड, पुस्तकालय के लिए अलमीरा भी मांगे थे, लेकिन उन्हें ये नहीं मिल सके। शिक्षक भी टूटे-फूटे चेयर में काम चला रहे हैं। किताबें पुरानी अलमारी में रखी जा रही हैं। कुछ स्कूलों ने गोपनीय और कीमती सामान रखने के लिए लॉकर अलमीरा भी मांगे थे, ये भी नहीं मिले।

गनियारी और माना कैंप ने मांगे थे सर्वाधिक बेंच

प्रक्रिया के अनुसार, विद्यालयों द्वारा जिला शिक्षा कार्यालय को फर्नीचर के लिए डिमांड भेजना होता है। जिला शिक्षा कार्यालय इसे लोक शिक्षण संचालनालय को प्रेषित करता है। कई बार इसे कलेक्टरेट भी प्रेषित किया जाता है, जहां खनिज न्यास निधि से इसका क्रय होता है। स्कूलों का कहना है कि उन्हें बेंच डीपी आई द्वारा प्रदान की गई हैं अथवा कलेक्टरेट मद से मिले हैं, इसकी जानकारी नहीं है। जो बेंच उन्हें मिली हैं, उनका प्रयोग उन्होंने शुरू कर दिया है। स्वामी आत्मानंद विद्यालय गनियारी, तिल्दा ने सर्वाधिक 720 छात्रों के लिए बेंच मांगी थी।

20 स्कूलों ने मांगे थे फर्नीचर

रायपुर जिले के अंतर्गत 34 स्वामी आत्मानंद विद्यालयों का संचालन हो रहा है। इनमें से मात्र 20 स्कूलों ने ही फर्नीचर के लिए आवेदन दिए थे। अनंतराम बर्धिहा विद्यालय चंदखुरी ने 300 बेंच, ऑफिस टेबल-16, ऑफिस चेयर-40, पुस्तकालय अलमीरा- 5 मांगे थे। बिन्नी बाई सोनकर विद्यालय ने 100 स्कूल टेबल और बेंच, गनियारी विद्यालय ने 720 विद्यार्थियों के लिए टेबल, तिलक नगर गुढ़ियारी विद्यालय ने 300 विद्यार्थियों के लिए फर्नीचर मांगे थे। माना कैंप विद्यालय ने 550 स्कूल टेबल-बेंच, स्टाफ के लिए 20 कुर्सी, 10 अलमीरा और 2 लॉकर अलमीरा मांगे थे। मोवा विद्यालय ने 100 स्कूल बेंच तो मोहबा बाजार स्थिति स्वामी आत्मानंद विद्यालय ने मात्र 28 बेंच मांगी थी।

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