CG News : छत्तीसगढ़ में जमीन की कीमतें बढ़ने की तैयारी, कलेक्टर गाइडलाइन जल्द जारी होने की संभावना

CG News : रायपुर। राजधानी रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में कलेक्टर गाइडलाइन की दरें जल्द ही बढ़ सकती हैं। सूत्रों के अनुसार, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई, अंबिकापुर और रायपुर जैसे बड़े जिलों में कलेक्टर रेट 10% से लेकर 100% तक बढ़ाए जाने की सिफारिश की गई है। राजधानी रायपुर के 70 में से 20 से अधिक वार्डों में गाइडलाइन दरों में 50% तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
नई गाइडलाइन लागू होने के बाद प्लॉट, मकान और दुकानों की खरीद-बिक्री आम लोगों के लिए और महंगी हो जाएगी।
2018 के बाद पहली बार बड़ा संशोधन
CG News : जानकारी के अनुसार, वर्ष 2018 के बाद अब तक कलेक्टर गाइडलाइन में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। पिछले पांच वर्षों में कई जिलों में सरकारी जमीन दरें जस की तस बनी हुई हैं, जबकि बाजार में कीमतों में काफी इजाफा हुआ है। इसी अंतर को कम करने के लिए अब कलेक्टर दरों में बढ़ोतरी की तैयारी की जा रही है।
सभी जिलों से 15 अप्रैल 2025 तक प्रस्तावित दरों की रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके आधार पर राज्य स्तर की मूल्यांकन समिति सिफारिशें करेगी।
कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने कहा कि नई गाइडलाइन को लेकर अध्ययन जारी है। उचित मूल्यांकन के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।
वहीं, सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि गाइडलाइन आने के बाद ही इस पर कोई टिप्पणी करना उचित होगा। रायपुर जिला पंचायत अध्यक्ष नवीन अग्रवाल ने भी कहा कि सरकार इस दिशा में सोच-समझकर निर्णय ले रही है और जो भी बदलाव होगा, उसका असर जनता को बाद में स्पष्ट होगा।
हितग्राहियों की राय
हितग्राही मनोज अग्रवाल का मानना है कि इससे आम मध्यमवर्गीय परिवार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। जमीन के बड़े लेन-देन करने वालों से भी राय ली गई होगी।
गोपाल अग्रवाल ने कहा कि पिछले छह सालों से सरकारी गाइडलाइन दरें नहीं बढ़ी थीं, जबकि बाजार भाव में लगातार इजाफा हो रहा था। पूर्ववर्ती सरकार ने गाइडलाइन पर 30% की छूट भी दी थी, जिससे सरकार को राजस्व में नुकसान उठाना पड़ा। उनके मुताबिक, अब गाइडलाइन बढ़ने से सरकार को राजस्व लाभ होगा और मुआवजा मिलने वाले लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा।
निष्कर्ष
अगर यह संशोधित गाइडलाइन लागू होती है तो इससे न सिर्फ सरकारी रजिस्ट्रियों का रेवेन्यू बढ़ेगा, बल्कि बाजार और सरकारी दरों के बीच का अंतर भी कम होगा। अब देखना होगा कि मूल्यांकन समिति की सिफारिशों के बाद राज्य सरकार इसे कब और किस दर पर लागू करती है।