मदिरा प्रेमियों के लिए बड़ी खबर : शराब दुकानों में मिलेगी ब्रांडेड शराब, अंग्रेजी शराब खरीदी में बिचौलियों की भूमिका ख़त्म

रायपुर। भाजपा की पूर्ववर्ती डाॅ.रमन सरकार में विदेशी शराब सीधे निर्माताओं से खरीदने का  सिस्टम था। इसमें बिचौलियों या डिस्ट्रीब्यूटर की कोई भूमिका नहीं होती थी। कांग्रेस की भूपेश सरकार ने इसे बदल दिया। आबकारी नीति में एफएल 10 में लाइसेंस की व्यवस्था की गई जिसके तहत शराब डीलर किसी भी निर्माता कंपनी से शराब खरीदकर सरकार को बेच बेचते थे। अब विष्णुदेव सरकार ने इस नियम को फिर बदल दिया है। अब विदेशी शराब अब लाइसेंसी बिचौलियों के बजाय सीधे शराब निर्माण करने वाली कंपनियों से करने का निर्णय लिया है।

नियम के हिसाब से इसे एफएल 10 सिस्टम कहा जाता है। इसके तहत प्रावधान किया गया था कि विदेशी शराब निर्माता कंपनियां किसी एजेंसी, डिस्ट्रीब्यूटर, जिसके पास लाइसेंस था, उसके माध्यम से ही शराब की सप्लाई करते थे। बिचौलियों के माध्यम से शराब की सप्लाई आबकारी विभाग को की जाती थी। साय सरकार ने पहले इस सिस्टम को यथावत रखा था। 2024-25 की नीति के तहत वहीं सिस्टम लागू किया गया। लेकिन बुधवार को साय कैबिनेट द्वारा विदेशी मदिरा के थोक विक्रय एवं भंडारण के लिए वर्तमान में प्रचलित एफएल 10 एबी अनुज्ञप्ति की व्यवस्था को समाप्त कर सीधे विनिर्माता इकाइयों से विदेशी मदिरा का थोक क्रय किए जाने को मंजूरी दी गई है। उल्लेखनीय है कि विदेशी मदिरा का क्रय पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय में लाइसेंसियों द्वारा किया जाता था। सरकार ने इस व्यवस्था को समाप्त करने के साथ ही विदेशी मदिरा क्रय करने की जिम्मेदारी अब छत्तीसगढ़ बेवरेज कार्पोरेशन को दे दी है।

लाइसेंसधारियों को तगड़ा झटका

इस फैसले से लाइसेंसधारियों को तगड़ा झटका लगा है। खासतौर पर वे लोग जिन्होंने यहां करोड़ों का कारोबार जमा रखा है। उनका कारोबार इस फैसले से खत्म हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार सरकार में जो लाइसेंसी बनाए गए थे, उनसे मिलकर नए कार्टेल तैयार होने लगे थे। ऐसे मे आबकारी विभाग ने एफएल 10 एक बी लाइसेंस के बजाय सीधे खरीदी करने का निर्णय लिया।

विदेशी कंपनियों के ब्रांड थे बाजार से गायब

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सरकार के समय से लायसेंसियों के द्वारा विदेशी मदिरा क्रय करने के सिस्टम के कारण प्रदेश में कई विदेशी शराब बनाने वाली कंपनियों के ब्रांड बाजार में नहीं मिल पा रहे थे। बिचौलियों के द्वारा उन्हीं कंपनियों का ब्रांड़ खपाया जा रहा था जो अच्छा मार्जिन देती थी। नई सरकार आने के बाद भी लायसेंसी के काम में कई नए लोगों का दखल शुरू हो गया था। कुछ नामचीन लोगों के हस्तक्षेप की खबरें भी इसमें आने लगी थीं। लिहाजा सरकार ने सिस्टम ही बदल दिया।

साय सरकार कर रही भ्रष्टाचार-घोटाले की जांच

राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने सत्ता में आते ही पिछली सरकार पर लगे व्यापक भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों की जांच शुरू कर दी थी, साथ ही सभी क्षेत्रों में पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करने का वादा राज्य के नागरिकों से किया था। पिछली सरकार पर जिन घोटालों के गंभीर आरोप लगे थे, उनमें शराब घोटाला प्रमुख था। कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई आबकारी नीति में संशोधन कर एफएल-10 लायसेंस का नियम बनाया और अपने चहेते फर्मों को सप्लाई का जिम्मा दे दिया। इससे राज्य में जहां अवैध शराब, नकली शराब की बिक्री धड़ल्ले से होने लगी वहीं नकली होलो ग्राम चिपकाकर बोतलों की स्कैनिंग किए बिना घटिया शराब बेची गई। इससे राज्य सरकार को हजारों करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ और शराब उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को भी गंभीर क्षति हुई।

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