इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने की आरएसएस की तारीफ, बोले- धर्मांतरण रोकने में संघ कर सकता है मदद

रायपुर : इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री रहे, छत्तीसगढ़ के सीनियर आदिवासी नेता अरविंद नेताम एक बार फिर चर्चा में आ गए है. पूर्व कांग्रेस नेता अरविंद नेताम आरएसएस के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन समारोह में शामिल हुए. जहां उन्होंने धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर संघ की तारीफ की है.
अरविंद नेताम ने की आरएसएस तारीफ
पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम 5 जून को आरएसएस के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन समारोह में शामिल हुए. जहां उन्होंने आरएसएस की तारीफ की. उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि- ‘धर्मांतरण’ की समस्या को गंभीरता से किसी भी सरकार ने नहीं लिया. मुझे यह भी देखने को मिलता है जब एक सरकार पावर में आई, शासन में आई तो दूसरे पर दोष लगाती है, और दूसरी सरकार, जब शासन और पावर में आई तब पहले वाले दोष लगाती है. देश में बस यही चलता है….धर्मांतरण को लेकर कोई ठोस काम नहीं हुआ.
धर्मांतरण रोकने में संघ कर सकता है मदद – अरविंद नेताम
उन्होंने धर्मातरण को लेकर कहा कि- मैंने बहुत विचार करके सोचा कि इस काम के लिए आरएसएस ही एक ऐसी संस्था है, जो इस मुद्दे में मदद कर सकती है, कुछ रास्ता दिखा सकती है. उन्होंने आगे कहा कि मैं जानता हूँ धर्मांतरण बहुत बड़ी समस्या है. आरएसएस बहुत पहले से इस पर काम कर रही है, पर मेरा अनुरोध है कि इस विषय की गंभीरता को देखते हुए आरएसएस को अपनी रफ्तार को तेज करे.
उन्होंने आगे कहा कि मैं चाहता हूं कि संघ, धर्मांतरण के बारे में गंभीरता से समझे. उन्होंने आगे कहा कि जैसे मैं बस्तर से आता हूं, जहां हम प्रमुख समस्या से जूझ रहे है. नक्सलवाद और धर्मांतरण….इन दोनों समस्या से आज स्थिति बहुत विकट है. मैं चाहता हूं कि इस पर आदिवासी समाज और संघ दोनों मिलकर के कुछ ना कुछ करें.
कौन हैं अरविंद नेताम?
अरविंद नेताम छत्तीसगढ़ के एक बड़े आदिवासी नेता माने जाते हैं. अरविंद नेताम कांकेर लोकसभा सीट से पाँच बार सांसद चुने जा चुके हैं. इसके अलावा इंदिरा गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में अरविंद नेताम मंत्री भी रह चुके हैं. और अविभाजित मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष समेत कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं.
2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद नेताम ने यह कहते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, कि तत्कालीन राज्य सरकार आदिवासियों के हितों के खिलाफ काम कर रही है. इस्तीफे के बाद राहुल गांधी के कहने पर अरविंद नेताम ने कांग्रेस में दोबारा वापसी तो की, लेकिन कुछ समय बाद ही दोबारा अलग होकर हमर राज नाम से नई पार्टी बनाई और चुनाव भी लड़ा. इसका असर यह हुआ कि, बस्तर की सभी 12 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस महज 4 सीटों पर सिमटकर रह गई.
न्योते पर हुई थी सियासत
वहीं अरविंद नेताम को आरएसएस से मिले न्योते के बाद छत्तीसगढ़ में जमकर सियासत हुई थी. नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा था कि मुझे आश्चर्य हो रहा है, मैं स्वयं उनसे बात करूंगा. वे आरएसएस में शामिल होकर भाषण देंगे या आदिवासी नेता के रुप में. उन्होंने कहा कि कई सालों से वे आदिवासियों के लिए लड़ रहे हैं. क्या वे वहां उसकी शिक्षा देने के लिए जा रहे हैं? पहले भी वह कांग्रेस छोड़कर बसपा में जा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि मैं उनसे आग्रह करूंगा ऐसा मन है, तो वह बदल दें.