होलिका दहन पर धनदायक पाताल वासिनी भद्रा, प्रदोष काल में पूजन करना रहेगा सर्वश्रेष्ठ

फाल्गुन पूर्णिमा पर 24 मार्च को होलिका का पूजन होगा। इस बार होलिका पूजन के समय प्रदोषकाल में पाताल वासिनी भद्रा रहेगी। इसके साए में होलिका का पूजन धन्य धान्य, सुख समृद्धि तथा पुत्र पौत्र प्रदान करने वाला माना गया है। ज्योतिषियों के अनुसार कुछ स्थानों पर भद्रा के बाद पूजन की मान्यता बताई गई है। जबकि ज्योतिष शास्त्र में भद्रावास का विशेष महत्व है। पाताल वासिनी भद्रा की साक्षी में पूजन करने से किसी प्रकार का कोई दोष नहीं लगता है। इसलिए फाल्गुन पूर्णिमा पर प्रदोष काल में नि:संकोच होलिका का पूजन किया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया एक या दो साल के अंतराल में होलिका पूजन के दिन भद्रा का साया रहता है। आमतौर पर भद्रा का नाम आते ही लोग इसे अशुभ मानते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में भद्रावास को लेकर भेद बताए गए हैं। शास्त्र के अनुसार भूलोक वासिनी भद्रा अशुभ होती है। अगर होलिका पूजन के समय भूलोक वासिनी भद्रा हो, तो उस समय को त्याग देना चाहिए। लेकिन स्वर्ग व पाताल वासिनी भद्रा का शुभ माना जाता है। इनके साए में पूजन करने से किसी प्रकार का दोष नहीं लगता है।
पंचांग की गणना के अनुसार इस बार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 24 मार्च को रविवार के दिन आएगी। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र तथा कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में पाताल लोक में निवास भद्रा रहेगी। यदि भद्रा कन्या, तुला व धनु राशि के चंद्रमा की साक्षी में आती है, तो वह भद्रा पाताल में वास करती है और पाताल में वास करने वाली भद्रा धन-धान्य और प्रगति को देने वाली मानी गई है। इस दृष्टि से इस भद्रा की उपस्थिति शुभ मंगल कारी मानी गई है। इसलिए इस दिन प्रदोष काल में होलिका का पूजन किया जा सकता है।
उत्तरा फाल्गुनी की मौजूदगी भी विशेष शुभ
नक्षत्र मेखला की गणना के अनुसार देखे तो होलिका का पूजन प्रदोष काल में होगा। इस समय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा यह नक्षत्र कन्या राशि की कक्षा में आता है। मुहूर्त चिंतामणि की गणना के अनुसार अगर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में विशेष पर्व काल पर आता हो, तो यह नक्षत्र धन-धान्य की वृद्धि करने वाला माना गया है।