कुत्‍ते से लड़कर दिव्यांग ओम ने बचाई बच्‍चों की जान, गणतंत्र दिवस पर मिला वीरता पुरस्कार, पिता ने राज्यपाल से लगाई मदद की गुहार

दुर्ग/भिलाई : गणतंत्र दिवस पर राज्‍यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने छत्‍तीसगढ़ के बहादुर बच्‍चों को वीरता पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया। इन बहादुर बच्‍चों में भिलाई के कृपाल नगर काका का दिव्यांग ओम उपाध्याय भी शामिल है। ओम दोनों कानों से सुन नहीं सकता। ओम की इस समस्‍या को लेकर देखते हुए पिता नीरज उपाध्याय ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है।

पिता ने पत्र में लिखा कि उनका बेटा ओम दोनों कानों से सुन नहीं सकता उसके लिए जो मशीन आती है उसकी कीमत छह लाख रुपये है। उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इस मशीन को स्वयं खरीद सके। ओम को अभी 26 जनवरी को ही वीरता पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार उसे उन बच्चों को बचाने के लिए दिया गया है, जिनकी रक्षा उसने एक कुत्ते के हमले से की थी। जिसमें वह स्वयं घायल हो गया था।

नीरज ने बताया कि 17 जनवरी 2011 को बाल श्रवण योजना के तहत उनके बेटे ओम उपाध्याय के सिर के अंदर काक्लियर इन प्लांट किया गया था। इस मशीन के लगने के बाद कुछ सालों तक ओम को सुनाई देता था लेकिन यह मशीन भी खराब हो गई।

मामले में यह बात सामने आई कि जिस कंपनी से बिना अनुबंध और नियम बनाए अंबेडकर अस्पताल के नाक, कान, गला विभाग ने यह पुरानी मशीन लगवाई थी। कुछ साल बाद ही इस मशीन से संबंधित पार्ट्स कंपनी ने भेजना बंद कर दिया। फिर कह दिया कि यह माडल बंद कर रहे हैं आपको नई मशीन लगवानी होगी।

लापरवाही के कारण ओम का भविष्य अंधकार मय

ओम के पिता नीरज उपाध्याय बताते हैं कि अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली और कंपनी की स्वार्थपूर्ण कार्य से बच्चे का भविष्य अधर में लटक गया।वह पहले की तरह फिर मुकबधिर हो गया है।हम ना ही उसे इशारा ही समझा पाए और ना ही वह सुनने की क्षमता हासिल कर पाया।

ओम के पिता ने बताया कि नई मशीन के लिए चार साल से लगातार प्रयास कर रहा हूं।ओम आज दसवीं में पहुंच चुका है। पिता ने कहा कि हमारी राज्य शासन से प्रार्थना है कि ओम के भविष्य के लिए उसे नई मशीन जल्द से जल्द उपलब्ध करवाएं।

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