रायपुर : राज्य के चर्चित इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक घोटाला में 47 साल बाद बड़ी कामयाबी मिली है। गलत तरीके से लोन लेने वाले एक उद्योगपति ने कोर्ट में साढ़े 28 लाख रुपए का चेक जमा किया है। मामले की पैरवी कर रहे सरकारी वकील संदीप दुबे ने आने वाले दिनों में फर्जी तरीके से लोन लेने वाले और उद्योगपतियों द्वारा रकम जमा कराए जाने की संभावना व्यक्त की है।
कोर्ट ने इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले से जुड़े 34 उद्योगपति- कारोबारियों सहित बैंक प्रबंधन से जुड़े लोगों को कोर्ट में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया था। कोर्ट के नोटिस के बाद बैंक घोटाले के प्रमुख आरोपी जगदलपुर निवासी नीरज जैन, उमेश सिन्हा तथा मीना आडिल कोर्ट में उपस्थित हुए।
लोक अभियोजक संदीप दुबे के मुताबिक इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला से जुड़े लोगों की शुक्रवार को भूपेश कुमार बसंत की जेएमएफसी कोर्ट में सुनवाई हुई। घोटाले के प्रमुख आरोपी नीरज जैन वर्ष 2009 के बाद से कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे थे, वो आज कोर्ट में उपस्थित होने के बाद कोतवाली थाना पहुंचे। गौरतलब है कि नीरज जैन से पूछताछ करने पुलिस ने उन्हें पिछले महीने नोटिस जारी किया था। नीरज के नहीं मिलने पर पुलिस ने उनके घर में नोटिस चस्पा किया था। पुलिस द्वारा नोटिस चस्पा किए जाने के बाद पहली बार नीरज पुलिस पूछताछ में शामिल होने थाने पहुंचे।
वकील के मुताबिक नर्मदा इन्फ्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड के संचालक पवन कुमार तथा रितु गुप्ता ने कोर्ट में साढ़े 28 लाख रुपए का चेक जमा किया है। वकील के अनुसार पवन कुमार ने शेल कंपनी के नाम से इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक से लोन लिया था । लोन लेने के बाद कंपनी ने बैंक में लोन की राशि जमा नहीं की । नोटिस मिलने के बाद कंपनी ने लोन की राशि चेक के माध्यम से कोर्ट में जमा की।
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को नोटिस
इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक से ज्यादातर लोगों द्वारा शेल कंपनी बनाकर लोन लेने की बात सामने आई है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कोर्ट के माध्यम से बिलासपुर स्थित रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को नोटिस जारी कर लोन लेने वाले कंपनी संचालकों की नाम पते सहित सूची देने नोटिस जारी करने की तैयारी की जा रही है।
लोन लेने वाली पांच कंपनियां राज्य के बाहर की
लोक अभियोजक के मुताबिक इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक से जिन 34 बड़े उद्योगपति कारोबारियों ने मोटी रकम लोन के रूप में लिया था और लोन की राशि जमा नहीं की, उनमें से पांच कंपनियां राज्य के बाहर महाराष्ट्र की हैं। उन कंपनियों को नोटिस जारी करने की भी तैयारी की जा रही है।
नीरज जैन ने बनाई थी कर्मचारियों के नाम से 6 फर्जी कंपनी
इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला में नाम सामने आने के बाद नीरज जैन जमानत मिलने पर नागपुर शिफ्ट हो गया। नागपुर शिफ्ट होने के बाद वर्ष 2009 के बाद से नीरज जैन एक भी पेशी में कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ। पुलिस द्वारा उसके मकान में नोटिस चस्पा किए जाने तथा कोर्ट का नोटिस मिलने के बाद नीरज कोर्ट में उपस्थित हुआ। पुलिस पूछताछ में नीरज ने बताया है कि उसने अपने कर्मचारियों के नाम से 6 फर्जी कंपनी बनाकर इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक से करोड़ों रुपए का लोन लिया था।