प्रदोष व्रत पर इस विधि से करें पूजन, अवश्य मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

हिंदू धर्म में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि शिव, भक्तों पर सबसे जल्दी प्रसन्न होनेवाले देवता हैं। इनके पूजन में भी किसी खास विधि-विधान की जरुरत नहीं पड़ती। भोलेनाथ एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों के कष्ट दूर करते हैं। इनके भक्तों पर शनि और राहु-केतु के दुष्प्रभावों का भी असर नहीं होता। इसी वजह से धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत को काफी महत्व दिया गया है। जून महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 15 तारीख को पड़ रहा है। ये व्रत भी गुरुवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भोलेबाबा की पूजा करने से भक्तों को मनवांछित फल मिलता है। जो भी भक्त इस दिन भोलेबाबा की पूजा-पाठ करते हैं, उन पर भगवान शिव खुश होते हैं और उनकी सभी बाधाएं दूर करते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव के पूजन से घर-परिवार में सुख-शांति आती है।
इस विधि से करें पूजन
भगवान शिव की आराधना के लिए प्रदोष काल काफी शुभ माना जाता है। ऐसे में प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह तड़के उठकर स्नान करें और व्रत करने का संकल्प लें। उसके बाद पूरे दिन भगवान शिव के नाम का जाप करें। शाम को दोबारा स्नान करें और प्रदोष काल में शिव पूजा शुरू करें। भगवान शिव को पंचामृत और जल से नहलाएं और उन पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, रुद्राक्ष, गंगाजल और भांग चढ़ाएं। फिर दीप जलाकर उनकी आरती करें। इस विधि से भक्ति-भाव के साथ पूजा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं।
भूलकर न करें ये गलतियां
प्रदोष व्रत के दिन घर में तामसिक भोजन नहीं बनना चाहिए। साथ ही मांस-मदिरा आदि से दूरी बनाएं। सुबह देर तक न सोएं और बिना स्नान किए बाबा भोले की तस्वीर को न छुएं। इस दिन काले कपड़े बिल्कुल न पहनें।