प्रोत्साहन राशि का 45 फीसदी हिस्सा प्रमुख और सहायक चिकित्सकों को देने और 55 प्रतिशत हिस्सा नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ को वितरित किए जाने का प्रावधान किया गया था। नियम वर्ष 2020 में बनाया गया जिसके बाद दो साल तक इस राशि का नियमित रूप से भुगतान किया गया। इससे सभी चिकित्सकीय स्टाफ को वेतन के अतिरिक्त राशि प्राप्त होने लगी थी। दो साल के बाद इसे लेकर शिकायतें भी सामने आने लगी और वर्ष 2022 के अंत इसे रोक दिया गया था। उस दौरान पेचीदगियों को दूर कर सिस्टम को लागू करने के लिए समिति का गठन किया गया मगर दो साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी इसे लागू नहीं किया जा सका है। अनुमान है कि चिकित्सकीय स्टाफ के करीब दो साल का इंटेसिव भुगतान अटका हुआ है जो 40 करोड़ के आसपास पहुंच चुका है। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य संचालनालय मिलाकर प्रदेश में करीब 30 हजार कर्मचारी और डॉक्टर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तरीकों से मरीजों को आयुष्मान स्वास्थ्य योजना का लाभ दे रहे हैं।
सीजीडीएफ का पत्र पहुंचा स्वास्थ्य मंत्री के पास
प्रोत्साहन राशि की मांग को लेकर पिछले दिनों छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन और जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन द्वारा स्वास्थ्य मंत्री को पत्र प्रेषित किया था। सीजीडीएफ के अध्यक्ष डॉ. हीरा सिंह लोधी और जूडा अध्यक्ष डॉ. रेशम सिंह ने कहा कि इंसेंटिव सभी स्वास्थ्य कर्मियों को शीघ्र प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उनका मनोबल बना रहे। इस मामले में पीजी स्टूडेंट एवं रेगुलर जूनियर डॉक्टरों को विशेष ध्यान देने की मांग भी की गई।
वेतन से ज्यादा इंटेसिव
लागू किए प्रोत्साहन राशि के सिस्टम के दौरान वितरण को लेकर विभिन्न शिकायतें सामने आने लगी थी। इसे लेकर असंतोष फैलने लगा था कि इंटेसिव सीनियर डॉक्टरों और पहुंच वाले कर्मचारियों के खाते में ही जा रही है। निचले स्तर के कर्मचारियों को उनका हिस्सा नहीं मिल रहा है। गड़बड़ी के दौरान कइयों ने वेतन से ज्यादा इंटेसिव पाया था तो कुछ को एक रुपए भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिली थी। इस शिकायत के आधार पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर जांच समिति गठित कर प्रतिवेदन मांगा गया था