दुश्मन देशों से निपटने भारत एक और एडवांस तकनीक से लैस ‘ब्रह्मास्त्र’ खरीदनें जा रहा है. भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने प्रोजेक्ट-75I के तहत छह नई एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक वाली पनडुब्बियां (Submarine) खरीदने प्लान बना रही है. ये पनडुब्बियां फ्यूल सेल AIP तकनीक का इस्तेमाल करे के ज़्यादा समय तक पानी के अंदर रह पाएगी. इससे दुश्मन को उनका पता लगाना मुश्किल हो जाएगा. भारतीय नौसेना को अभी भी दो प्रमुख दावेदारों के बीच चयन करना है, जो जर्मनी (Germany) की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम (TKMS) और स्पेन (Spain) की नवांटिया है.
कई दिनों तक पानी के भीतर रह सकती है AIP पनडुबिया
AIP (Air Independent Propulsion) तकनीक वाली पनडुब्बियों को बिना सतह पर आने की आवश्यकता के लंबे समय तक पानी के नीचे रहने की उर्जा देती है. पुराने पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां समुद्र के नीचे अपने बैटरियों को रिचार्ज करने के लिए अक्सर सतह पर आती हैं, जिससे उनकी मौजूदगी को दुश्मन भांप लेता है. वहीं, AIP तकनीक से लैस पनडुब्बियां सप्ताहों तक बिना सतह पर आए समुद्र के अंदर रह सकती हैं.
इसके अलावा, एआईपी तकनीक से लैसे पनडुब्बियां बिना शोर किए गुपचुप तरीके से काम करती हैं. साथ ही दुश्मनों को पता भी न चले और सारी जानकारी जुटा सकती हैं. AIP तकनीक से लैस पनडुब्बियां बिना सतह पर आए 50,000 घंटे तक पानी में रह सकती हैं और बिना किसी आवाज के अपने टारगेट तक पहुंच सकती हैं, जिससे उनका निशाना बनाना मुश्किल होता है.
भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना 75 आई जब पूरी हो जाएगी तब भारत के पास 6 डीजल-इलेक्ट्रिक, 6 एआईपी संचालित और 6 परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बियां होंगी. मौजूदा वक्त में भारत के पास डीजल से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां 17 हैं और एक परमाणु चलित पनडुब्बी है. रूस दुनिया में सबसे ज्यादा पनडुब्बियों का मालिक है, रूस के पास 65 पनडुब्बियां है. इसके बाद अमेरिका के पास 64 पनडुब्बियां और तीसरे नंबर पर चीन है. चीन की 61 पनडुब्बियां है. भारत इस समय 18 पनडुब्बियों के साथ दुनिया में आठवें पायदान पर है.