एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च जशपुर में, 10 हजार श्रद्धालु कर सकते हैं एक साथ प्रार्थना, तस्वीरें देखें

रायपुर। क्रिसमस को लेकर देशभर में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. 25 दिसंबर यानी ईसाइयों के भगवान यीशु के जन्मदिवस के मौके पर ईसाई समाज के लोग जोर शोर से तैयारियों में लग गए हैं और विभिन्न चर्च और गिरजाघरों को सजाया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित एशिया के दूसरे सबसे बड़े चर्च में भी सजावट को भव्य रुप दिया जा रहा है. इस चर्च को महागिरजाघर के नाम से जाना जाता है. दिखने में काफी विशाल और भव्य जशपुर के चर्च का इतिहास भी काफी रोचक है जिसके बारे में हम आपको बताएंगे.

दरअसल, छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कुनकुरी में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है. इस चर्च की नींव वर्ष 1962 में रखी गई थी. वहीं जब इस चर्च को बनाया गया था उस समय कुनकुरी धर्मप्रांत के बिशप स्टानिसलास लकड़ा थे. इस विशालकाय चर्च वाले भवन को एक ही बिम के सहारे खड़ा करने के लिए नींव को विशेष रूप से डिजाइन किया गया था सिर्फ इसी काम के लिए 2 साल लग गए थे

नींव तैयार होने के बाद भवन का निर्माण 13 साल में पूरा हुआ था. कहा जाता है कि उस वक्त कुनकुरी इलाका और यह चर्च जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ था लेकिन समय के साथ सब कुछ बदलता गया और अब जिस जगह पर चर्च है. वह क्षेत्र एक शहर के रूप में विकसित हो चुका है, वहां कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी है.

बता दें कि कुनकुरी में स्थित चर्च को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च होने का गौरव तो प्राप्त है ही, इसके अलावा इस चर्च की एक और खास विशेषता है जो अपने आप में अलग है. दरअसल इस महागिरजाघर में 7 अंक का विशेष महत्व है. इस चर्च में 7 छत और 7 दरवाजे हैं. कैथोलिक वर्ग में 7 नंबर को खास माना गया है. हफ्ते में भी 7 दिन होते हैं. 7वां दिन भगवान का होता है. चर्च की 7 छतें एक ही बिम पर टिकी हुई है. यह चर्च इतना विशाल है कि इसके अंदर एक साथ 10 हजार लोग बैठ सकते है.

 

गौरतलब है कि एशिया का सबसे बड़ा चर्च नागालैंड में स्थित है. उसके बाद दूसरा सबसे बड़ा चर्च छत्तीसगढ़ के कुनकुरी में है. कुनकुरी से 11 किलोमीटर दूर गिनाबाहर में 1917 में इलाके का सबसे पहला चर्च था. उस समय कुनकुरी एक छोटा सा गांव था. इसके बाद यहां लोयोला स्कूल और होली क्रॉस अस्पताल की स्थापना हुई.

चर्च बनने के बाद ही कुनकुरी एक शहर के तौर पर विकसित हुआ. यहां अस्पताल और शैक्षणिक संस्थाएं खुले और बाजार भी शुरू हुआ. अब यहां 10 हजार से अधिक परिवार रहते हैं. एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कुनकुरी में होने की वजह से इस क्षेत्र की एक अलग ही पहचान बन चुकी है. हर साल क्रिसमस के मौके पर इस चर्च में 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु उपस्थित होते हैं.

 

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