देवी महागौरी की इस तरह करें आराधना, विवाह से जुड़ी परेशानियां होंगी दूर
सनातन धर्म में पूजा-पाठ प्रतिदिन का हिस्सा होती है और महत्वपूर्ण मानी जाती है। मंत्र की सहायता से विभिन्न ऊर्जाएं प्राप्त की जा सकती हैं। मंत्र में हमारी सुप्त चेतना को जगाने की दुर्लभ क्षमता होती है, जो हमारी आंतरिक शक्तियों को विकसित करने और हमारी मूल महानता को सामने लाने में मदद करता है। देवी गौरी मां दुर्गा का आठवां रूप हैं। वे आदर्श साथी का भी प्रतीक मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं देवी गौरी की पूजा करती हैं, उन्हें मनचाहे विवाह का आशीर्वाद मिलता है। मां गौरी चार भुजाओं वाली, नंदी पर बैठी हुई दिखाई देती हैं। मां गौरी शांति और पवित्रता लेकर आती हैं।
गौरी मंत्र खासतौर पर उन लोगों के लिए है, जिन्हें विवाह संबंधी समस्याएं आ रही हैं या जिनकी कुंडली में मंगल दोष है। देवी सीता ने भी अपने मनचाहे जीवनसाथी भगवान राम से विवाह करने के लिए इस गौरी मंत्र का जाप किया था।
।।गौरी स्तुति।।
जय जय गिरिबरराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
मोर मनोरथ जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबही कें॥
कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहिं।
अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥
बिनय प्रेम बस भई भवानी।
खसी माल मुरति मुसुकानि॥
सादर सियँ प्रसादु सर धरेऊ।
बोली गैरी हरषु हियँ भरेऊ॥
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सूचि साचा।
सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एही भाँती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥