बीजिंग: चीन, सऊदी अरब और ईरान ने गाजा में इजरायल के सैन्य अभियान को तत्काल रोकने और फिलिस्तीनियों को स्थायी राहत देने का आग्रह किया है। शुक्रवार को चीन की राजधानी बीजिंग में ईरान के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री अली बघेरी कानी, चीन के उप विदेश मंत्री डेंग ली, और सऊदी के विदेश मामलों के उप मंत्री वलीद बिन अब्दुलकरीम अलखेरीजी के बीच ये बैठक हुई है। तीन देशों के उप विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में यह मांग की गई है। बयान में गाजा पट्टी में चल रही जंग को क्षेत्र के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए चिंता व्यक्त की गई है। बयान में फिलिस्तीनियों को उनकी भूमि से जबरन विस्थापित करने के प्रयास को भी स्पष्ट रूप से खारिज किया गया है।
चीन, ईरान और सऊदी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि फिलिस्तीन के भविष्य के संबंध में कोई भी व्यवस्था वहां के लोगों की इच्छा के हिसाब से ही होनी चाहिए। फिलिस्तीनियों को उनके अपने राज्य की स्थापना करने और अपने भाग्य का निर्धारण करने के अधिकार का पूरा हक है और तीनों देशों ने इसका समर्थन किया है। तीनों राजनयिकों ने गाजा में मौजूदा गंभीर मानवीय परिस्थितियों पर भी चिंता व्यक्त की है।
सऊदी में होगी अगली बैठक
चीन, ईरान और सऊदी के उप विदेश मंत्रियों के बीच अगली बैठक जून में सऊदी अरब में होना तय हुई है। बैठक में राजनयिकों ने सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंधों में प्रगति पर चर्चा की गई, जिसमें रियाद और तेहरान में संबंधित दूतावासों को फिर से खोलना भी शामिल है। ईरानी और सऊदी राजनयिकों ने तेहरान और रियाद के बीच मेल-मिलाप में चीन की कोशिशों की सराहना की और बीजिंग समझौते को लागू करने के लिए अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
बता दें कि इजरायल की ओर से गाजा में 7 अक्टूबर से लगातार हमले किए जा रहे हैं। हमास को खत्म करने की बात कहते हुए इजरायल ने गाजा पट्टी में सैन्य अभियान चलाया है। इजरायली हमले में अब तक कम से कम 18 हजार फिलिस्तीनी लोगों के मारे जाने और 50 हजार के घायल होने की बात गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कही है। गाजा में इजरायल की घेराबंदी की वजह से मानवीय संकट भी खड़ा हो गया है। लाखों लोगों को आश्रय स्थलों में रहना पड़ रहा है, जिनके पास बिजली, शौचालय, भोजन जैसी बुनियादें जरूरतें भी नहीं है।