सुबह सुबह क्यों चहचहाती है चिड़िया जानिए क्या कहता है विज्ञान…

सवेरे चिड़ि‍या गुनगुनाना शुरू कर देती हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि चिड़िया सुबह -सुबह ही क्यों चहचहाती हैं? वैज्ञानिकों ने इसपर रिसर्च की है,

रायपुर:- शहर हों या गांव, चिड़ियों की चहचहाहट से हमारी नींद जागती है। ऐसा लगता है जैसे उन्होंने हमसे पहले भोर के बारे में जान लिया हो। अगर हम गांव में रहते हैं तो जैसे ही थोड़ी रोशनी होगी, पक्षियों की चहचहाहट गीतों में सुनाई देने लगेगी।

जिससे सूर्योदय होता है। उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे वह सूरज के आने का स्वागत गीत गा रही हो। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पक्षी सुबह इतनी जल्दी क्यों चहचहाते हैं? तो आइए विज्ञान की भाषा में समझने की कोशिश करते हैं कि चिड़िया सुबह के समय क्यों चहचहाने लगती है।

ब्रीडिंग सीजन

वैज्ञानिको ने अपनी रिस्रच मं यह भी पाया कि चिड़ि‍यों की कुछ खास प्रजातियां होता है जिनके गुनगुनाने का एक  जैसा समय होता है.  जैसे – मिनाह प्रजाति की चिड़ि‍यों के लिए अप्रैल से जून का समय ब्रीडिंग सीजन होता है. इस समय इस प्रजाति की चिड़िया सुबह सबसे ज्‍यादा चहचहाती हैं. जबकि गौरेया ऐसी चिड़ि‍या है जो सालभर गुनगुनाती है. हालांकि सुबह के समय इनकी आवाज थोड़ी ज्‍यादा तेज होती है.

तो ये रही चिड़ियों के सुब सवेरे रोज चहचाने के पीछे के कारण अगर अगली बार आपके घर के पास कोई चिड़िया गुनगुनाएं तो समझ लिजिए की इन वजहों से वह गगुनगुना रही है.

रोज नई जंग के लिए रहें तैयार

यह महत्वपूर्ण है कि पक्षी अपने साथी को याद दिलाने के लिए सुबह सबसे पहले उठें कि यह एक नया दिन है और वे उतने ही मजबूत हैं जितने कि वे सोने गए थे। वे जितनी जोर से गाते हैं, उतनी ही जोर से आवाज करते हैं, इसलिए उन्हें दूसरे पक्षी के घोंसले पर कब्जा करने के बारे में अजीब विचार नहीं आते।

हॉमोंस का उतार चढ़ाव 

एबीसी साइंस जर्नल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पक्षियों के चहकने का कारण उनमें चल रहे हार्मोन का उतार-चढ़ाव है। शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शाम और रात के समय पक्षियों में स्लीप हार्मोन का स्तर बहुत तेजी से बढ़ता है। सुबह का समय आते ही इस हार्मोन का स्तर तेजी से गिरने लगता है। क्योंकि सुबक अधिक ऊर्जावान महसूस करता है। तभी पंछी चहचहाने लगते हैं।

आपने देखा होगा कि कई पक्षी बहुत छोटे होते हैं, लेकिन वे हमेशा एक बड़े समूह में शामिल होना चाहते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि यदि उनके क्षेत्र में कोई पक्षी खतरे में है, तो वे उसकी रक्षा कर सकते हैं, जिसमें अन्य पक्षी शामिल होते हैं। जैसे भोजन या घोंसले के शिकार स्थलों जैसे आवश्यक संसाधनों के लिए शुरू की गई रस्साकशी।

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