कौन हैं प्रज्ञा सिंह? जिन्होंने बच्चों के लिए गणित को बनाया खेल, राष्ट्रपति से मिलेगा सम्मान

दुर्ग : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के एक छोटे से गांव हनोदा की सरकारी मिडिल स्कूल की गणित शिक्षिका डॉ. प्रज्ञा सिंह ने पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. उन्हें इस साल राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है.

प्रज्ञा सिंह को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

दुर्ग जिले के सरकारी स्‍कूल की टीचर डॉ. प्रज्ञा सिंह की मेहनत और अनोखे तरीकों ने उन्हें नेशनल टीचर्स अवॉर्ड 2025 का हकदार बनाया है. प्रज्ञा ने बच्चों के लिए मैथ्स को खेल-खेल में इतना मजेदार बना दिया कि बच्चे अब न सिर्फ गणित सीखते हैं, बल्कि उसे पसंद भी करने लगे हैं.

बच्चों के लिए गणित को बनाया खेल

उन्होंने गणित जैसे कठिन और बच्चों को डराने वाले विषय को खेल-खेल में समझाने के लिए उन्होंने लूडो, सांप-सीढ़ी, शतरंज, कुर्सी दौड़ और पीटी जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया. इन नवाचारों ने बच्चों के लिए गणित को इतना आसान बना दिया कि अब उनके स्कूल के नतीजे शत-प्रतिशत आ रहे हैं. प्रदेश से सामान्य वर्ग में यह पुरस्कार पाने वाली वे एकमात्र शिक्षिका हैं.

बचपन से था टीचर बनने का सपना

डॉ. प्रज्ञा सिंह का बचपन से सपना था टीचर बनना. वो छोटी उम्र से ही आसपास के बच्चों को पढ़ाती थीं लेकिन 1997 में शादी के बाद उनकी पढ़ाई को ब्रेक लग गया. पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से वह करीब 10 साल तक पढ़ाई से दूर रहीं. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी. 2008 में प्रज्ञा ने B.Ed में दाखिला लिया और उसी साल व्यापम की प्राइमरी टीचर भर्ती परीक्षा पास करके हनोदा के प्राइमरी स्कूल में टीचर बनीं.

पहले भी हो चुकी है सम्मानित

वर्ष 2024 में भी दुर्ग की एक दिव्यांग शिक्षक को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू राष्ट्रीय ने शिक्षक आवर्ड से नवाजा जा चुकी है. दुर्ग के खेदामारा की शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला की दिव्यांग शिक्षिका के. शारदा ने छात्रों के जीवन में बदलाव लाने के लिए नवाचार की थी.

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