दौर बदला तो बदल गई सिनेमा की माँ, बेटे को गोली मारने वाली माँ से लेकर पढ़िए ये दिलचस्प किरदार

मुंबई : सनातन संस्कृति में धारणा यही रही है कि पूत भले ही कपूत हो लेकिन माता कभी कुमाता नहीं होती। इसीलिए तो मां की सेवा को स्वर्ग से भी बड़ा सुख माना जाता है। हिंदी सिनेमा में मां के त्याग और बलिदान पर आधारित कई फिल्में बनी है। आज मदर्स डे पर आइए जानते हैं ऐसी 6 फिल्मों के बारे में, जिनमें मां के किरदार ने कहानी के उत्प्रेरक के रूप में काम किया..

फिल्म : मदर इंडिया (1957)

कलाकार: नरगिस 

किरदार: राधा 

निर्माता, निर्देशक महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ उन चुनिंदा फिल्मों में से एक है, जिनकी चर्चा भारतीय फिल्मों के इतिहास में हमेशा होती रहेगी। इस फिल्म में राधा की भूमिका नरगिस ने निभाई जो अपने दो बेटों की परवरिश गरीबी और तमाम विपरीत परिस्थितियों में अकेली करती है। तमाम चुनौतियों के बावजूद राधा का अपने बच्चों के प्रति प्यार और समर्पण अटूट है। लेकिन जब राधा का एक बेटा बिरजू गलत रास्ते पर निकल पड़ता है तो राधा उसे गोली मार देती है। एक मां के त्याग और न्याय की जो इस फिल्म में मिसाल पेश की गई वह अद्भुत थी। यह फिल्म भारत की ओर से पहली बार अकादमी पुरस्कारों के लिए भेजी गई।

फिल्म: करण अर्जुन (1995)

कलाकार: राखी गुलजार 

किरदार: दुर्गा सिंह 

फिल्म ‘करण अर्जुन’ में राखी गुलजार ने दुर्गा सिंह का किरदार निभाया। दुर्गा अपने जीवन में बहुत परेशानियों से गुजरी है।  पतिऔर दोनो बेटे करण अर्जुन को खोने के बाद उसे इस बात का विश्वास है कि मेरे करण अर्जुन आएंगे। यह फिल्म एक मां एक की इच्छाशक्ति और अटूट विश्वास आधारित है। दुर्गा सिंह का मानना है कि उसके करण अर्जुन आएंगे और अपने दुश्मनों का संहार करेंगे। राकेश रोशन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शाहरुख खान और सलमान खान ने राखी गुलजार के बेटों का किरदार निभाया था।

फिल्म: कभी खुशी कभी गम 2001

कलाकार: जया बच्चन

किरदार: नंदिनी रायचंद्र 

करण जौहर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में जया बच्चन ने नंदिनी रायचंद्र की भूमिका निभाई है। नंदिनी अपने पति यशवर्धन रायचंद के साथ- साथ अपने दोनों बेटे राहुल और रोहन को भी बहुत प्यार करती है। पिता -पुत्र के बीच दूरियां खत्म करके नंदिनी परिवार को एक साथ फिर से जोड़ने की कोशिश करती है। फिल्म में यशवर्धन रायचंद की भूमिका अमिताभ बच्चन,  राहुल की भूमिका शाहरुख खान और  रोहन की भूमिका ऋतिक रोशन ने निभाई थी।

फिल्म: कल हो ना हो (2003)

कलाकार: जया बच्चन

किरदार: जेनिफर कपूर 

निर्देशक निखिल आडवाणी की फिल्म ‘कल हो ना हो’ में जया बच्चन ने जेनिफर कपूर का किरदार निभाया। अपने पति की मौत के बाद जेनिफर न केवल अपने बच्चो को अपने दम पर पालती है, बल्कि अपनी सौतेली बेटी को भी स्वीकार कर लेती है। और, उसकी परवरिश अपने सगे बच्चों की तरह करती है। जेनिफर की भूमिका के लिए पहले नीतू सिंह से संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद जया बच्चन से इस भूमिका के लिए संपर्क किया गया।

फिल्म: तारे जमीं पर( 2007)

कलाकार: टिस्का चोपड़ा

किरदार: माया अवस्थी 

फिल्म ‘तारे जमीं पर’ में टिस्का चोपड़ा ने माया अवस्थी का किरदार निभाया था। माया अवस्थी फिल्म में एक ऐसी गृहिणी का किरदार निभाया है जो सुबह से शाम तक अपने बच्चो की देखभाल में खुद को भूल जाती है। इस फिल्म में मां बेटे के भावनात्मक रिश्ते के बारे में दिखाया गया है। माया अवस्थी को जब पता चलता है कि उसके छोटे बेटे ईशान अवस्थी को डिस्लेक्सिया नाम की बीमारी है तो वह अंदर से टूटकर बिखर जाती है। उसे अपने बेटे की अक्षमताओ को न समझ पाने का गहरा अफसोस होता है।

फिल्म: पा (2009)

कलाकार: विद्या बालन

किरदार: डॉ विद्या भारद्वाज 

निर्देशक आर बाल्की की फिल्म ‘पा’ में विद्या बालन ने अमिताभ बच्चन की मां डॉ विद्या भारद्वाज की भूमिका निभाई है। अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म में प्रोजेरिया नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित 12 वर्षीय ऑरो  का किरदार निभाया था। इस फिल्म में विद्या बालन ने मजबूत इरादों वाली दृढनिश्चयी  मां का किरदार निभाया जो अपने बेटे के लिए हमेशा खड़ी रहती है।

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