सनातन धर्म में एकादशी को महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है। इसलिए विजया एकादशी का धार्मिक रूप से महत्व है। मान्यता है कि जो इस तिथि को विधि-विधान के साथ व्रत का पालन करता है। उससे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। पंचांग के अनुसार, इस साल विजया एकादशी 6 मार्च (बुधवार) को मनाई जाएगी।
विजया एकादशी व्रत और पूजा विधि
एकादशी से एक दिन पहले एक वेदी बनाकर उसपर सप्त धान्य रखें। मिट्टी का कलश स्थापित करें। एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें। धूप, दीपक, चंदन, पुष्प, फल और तुलसी से श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा करें। रात्रि में भजन कीर्तन करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान दें। उसके बाद व्रत का पारण करें। उपवास से पहले सात्विक भोजन खाना चाहिए।
विजया एकादशी का महत्व
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान शिवजी ने नारद को उपदेश देते हुए कहा था कि एकादशी व्रत पुण्य देने वाली होती है। मान्यता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है। उसके पितृ और पूर्वज स्वर्ग लोक में जाते हैं। साथ ही जातक को हर काम में सफलता प्राप्त होती है। उससे इस जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है।