राजधानी की सडको पर समोसे बेचने वाला विकी, अब छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा भू-माफिया बनने की राह पर

रायपुर। कभी शहर की सड़कों पर समोसे बेचने वाला विकी अब छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा भू-माफिया बनने की राह पर है। आरोप है कि कांग्रेस शासनकाल में उसने छोटे नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के काले धन को निवेश कर बेहद महंगी संपत्तियां खरीदीं। बताया जा रहा है कि सेजबहार, छछानपैरी, कांदुल, टाटीबंध, मुजगहन समेत रायपुर के कई इलाकों में उसने अनाप-शनाप बाजार दर से ज्यादा कीमत पर ज़मीनों का अधिग्रहण किया है।

अब इन मामलों को भी सीबीआई को जांच करनी चाहिए कि हज़ारों करोड़ों की बेनामी संपत्ति इन बिल्डरों के पास रहती है तो इसके पीछे किसका हाथ होता है? सीबीआई को इन बिल्डरों के आय से अधिक बेनामी संपत्ति मामलें में जांच करना चाहिए और सभी की बेनामी संपत्ति को कुर्क करके सील कर देना चाहिए। बेनामी संपत्ति के मालिक कांग्रेस के तत्कालीन शासन के नेता और आईएएस-आईपीएस अधिकारी गण है इसकी पुख्ता जानकारी विकी समोसा वाले के यहां मिलेगी। सट्टा-जुआ शराब एवं सभी तरह का 2 नंबर की बड़ी रकम विकी समोसे वाले के द्वारा रायपुर शहर के चारो तरफ बेतहाशा बेनामी सम्पतियों और जमीनों में उपयोग की गई है।

क्या सीबीआई ईओडब्लू और ईडी की जांच का सबसे सुगम रास्ता बनेगा विकी समोसे वाला? सूत्रों के अनुसार विकी समोसे वाले का दावा है कि वो सभी मीडिया घरानों और समाचर पत्रों के मालिकों को अपने जेब में रखता है  सूत्रों के अनुसार, इस खेल में आईएएस-आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने अवैध पैसे को विकी के ज़रिए रियल एस्टेट में निवेश किया। कांग्रेस शासनकाल में उसे राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण मिला, जिससे वह एक साधारण स्ट्रीट फूड विक्रेता से शहर के सबसे प्रभावशाली बिल्डरों में शामिल हो गया।

विकी न केवल रियल एस्टेट में बड़ा नाम बन चुका है, बल्कि वह अब मीडिया में भी स्पॉन्सर्ड खबरों के माध्यम से अपनी छवि चमकाने का प्रयास कर रहा है। आरोप हैं कि उसने अपने अवैध कारोबार को छुपाने के लिए स्थानीय मीडिया संस्थानों में मोटा पैसा लगाया है, जिससे उसके खिलाफ कोई भी नकारात्मक खबर न चले। अब सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन इस मामले की जांच करेगा? और क्या नेताओं और अधिकारियों के साथ मिलीभगत से फल-फूल रहे इस भू-माफिया पर कोई कार्रवाई होगी?

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